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________________ किरण १] ― महान् - श्रद्धाञ्जलियाँ कृतज्ञता - श्री बाबू देवकुमारजी की सेवाओं से अधिकांश तथा जैन समाज परिचित है । आप जैन समाज के प्रसिद्ध धर्मनिष्ठ परोपकारी सज्जन थे । आपके हृदय में जैनधर्म के प्रति विशेष अनुराग था और भावना आपकी नस नस में भरी हुई थी। आपने अपने ३१ काल में जो सेवा कार्य किये हैं, वे समाज से छिपे हुए नहीं हैं। ७ उसके प्रचार की उत्कट वर्ष के अल्प जीवन परमानन्द जैन शास्त्री, सरसावा अनि देवकुमार इति क्षितौ प्रतिदिशं प्रथितः प्रथितान्वयः 1 हसति यस्य पुरी मगधस्थिता सुरपुरीमपि भव्यजनाश्रया ॥१॥ पितामहस्तस्य जगत्प्रसिद्धां बभूव धन्यः प्रभुदाससंज्ञः । गुणानिदानीमपि यस्य लोकः सगौरवं गायति नित्यमेव || २ || यस्यात्मजी राजसमानतेजोविराजमानौ विदिताभिधानौ । निजान्वयाम्भोनिधिपूर्ण चन्द्रो सद्धर्मकर्मोत्सववीततन्द्री ||३|| निर्मलकुमारनामा प्रथमोऽप्रथमश्च सद्गुणागारः । चक्रेश्वरः कुमारः परमोदारावुभावेव || || ताभ्यामुभाभ्यामतिसज्जनाभ्यां हर्म्य प्रदानाद्गुणसंश्रयाभ्याम् । काशीस्थविद्यालय मुख्यनामस्याद्वाद एषोऽयकृतः कृतार्थ ॥५॥ भ्रातृपत्नी विदुषीह चन्दाबाई प्रसिद्धा महिलासमाजे । तद्यत्नसंस्थापित जैन वाला विश्रामसंस्था नितरां विभाति ||६|| आरापुरीमध्य विराजमानं यज्जेन सिद्धान्तगृहं विशालम् । तन्मूल हेतुर्न र रत्नदेवकुमार एवेति नवेत्तिकोऽत्र ॥ || विद्यालयस्यास्य च सूत्रपाते यो मुख्यहेतुः कृत हर्म्य दानः अर्थप्रदानं समयानुरूपं व्यधात्सदा मासिक-दानरूपम् ||३|| तत्साचिव्य कृतोत्कर्षः स्याद्वादोऽयं कृतज्ञताम् । श्रद्धा श्रद्धाञ्जलि द्वारा व्यनन्तयुपकृतिं स्मरन् । 11211 फाशीस्थ भोस्याद्वाद महाविद्यालयतः
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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