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नहा-धोकर, हाथ-पैर साफ कर के, ऐसे वातावरण में भोजन करना चाहिए जहां शान्ति हो और प्रेम से परिवार व मित्रों के साथ भोजन किया जा सके । प्रेम से खाया रूखा-सूखा भोजन भी स्वादिष्ट लगता है । विदुर का प्रेम से खिलाया हुआ साग भी श्रीकृष्ण ने कितना स्वाद ले कर खाया था । भोजन करने में कभी जल्दी नहीं करनी चाहिए । अच्छी तरह चबा-चबा कर भोजन करना चाहिए । भोजन करने के बाद तुरन्त काम में नहीं लगना चाहिए, इस से भोजन अच्छी तरह नहीं पचता । और भोजन कर के तुरन्त सो जाना तो बहुत ही हानिकारक है । इसलिए सोने के समय से कई घंटे पहले भोजन कर लेना चाहिए ।
बहुत गरम चीजें खाने या पीने से या बहुत ठंडी चीजें खाने या पीने से पेट खराब होता है और दांत भी जल्दी गिर जाते हैं । केवल स्वाद के लिए या फैशन में पड़ कर मसालेदार चाट-पकौड़ी, चाय-काफी, लेमनसोडा, आइसक्रीम, इत्यादि चीजें खाने से स्वास्थ्य खराब होता है। खास तौर पर ये चीजें बाजार में बनी हुई तो और भी खराब हैं क्योंकि न तो बाजार वाले उन में अच्छी चीजें डालते हैं और न उन को सफाई से बनाते हैं ।
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