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नमोत्युणं = नमस्कार हो अरिहन्ताण = अरिहन्त भगवताणं=भगवान् को
शब्दाय
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[भगवान कैसे हैं ? ] आइगराण : - धर्म की आदि करने वाले तित्ययराण = धर्म तीर्थ की स्थापना करने वाले
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अप्प हिय = अप्रतिहत तथा वर-नाणदंसण = श्र ेष्ठ ज्ञान दर्शन के
धराण = धर्ता
सामायिक सूत्र
विभट्टछउमाण = छद्म से रहित जिणाण = राग द्वेष के विजेता जावयाणं श्रौरो के जिताने वाले तिन्नाणं = स्वयं तरे हुए तारयाण = दूसरो को तारने वाले बुद्धाण = स्वय बोध को प्राप्त
सय = स्वय ही संबुद्धाण=सम्यग्बोध को पाने वाले पुरिसुत्तमाणं = पुरुषो मे श्र ेष्ठ पुरिससीहाणं पुरुषो मे सिंह पुरिसवरगंधहत्थीरण = पुरुपो मे श्र ेष्ठ गधहस्ती
लोगुत्तमाण= लोक मे उत्तम लोगनाहाण = लोक के नाथ लोगहियाण = लोक के हितकारी लोगपईवाण = लोक मे दीपक लोगपज्जोयगराण= लोक मे उद्योत करने वाले
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अभयदयाण - प्रभय देने वाले चक्खुदयारण- नेत्र देने वाले मग्गदयाण == धर्म मार्ग के दाता सरणदयाणं - शरण के दाता जीवदयाण - जीवन के दाता
अग्वावाह = बाधा रहित अपुरा वित्ति = पुनरागमन मे रहित (ऐसे ) वोहिदयारणं - बोधि - सम्यक्त्व के दाता सिद्धिगइ = सिद्धि गति
वोहयाण = दूसरो को वोध देने वाले मुत्ताण = स्वय मुक्त मोयगाण = दूसरो को मुक्त कराने वाले
सव्वन्नूण = सर्वज्ञ
सव्वदरिसीण = सर्वदर्शी, तथा
सिव = उपद्रवरहित
अयल = अचल, स्थिर
= रोग रहित
अरुय =
अरण त ग्रन्त रहित
अक्खय = प्रक्षत
धम्मदयाण = - धर्म के दाता धम्मदेसयाणं धर्म के उपदेशक धम्मनायगाणं = धर्म के नायक धम्मसारहीण = धर्म के सारथि धम्मवर = धर्म के श्रेष्ठ चाउरंत = चारगति का अन्त करने वाले चक्कवट्टीणं चक्रवर्ती
नामधेय = नामक
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= प्राप्त करने वाले
ठारण = स्थान को संपत्ताण नमो नमस्कार हो जियभयाण = भय के जीतने
वाले जिणाण = जिन भगवान् को