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श्री पद्मावती पुरवाल जैन डायरेक्टरी
श्री अंगरेजीलाल जी जैन, मैदामई
आपका जन्म श्री बद्रीप्रसाद जी जैन के घर सन् १९०५ में हुआ। आपके पितामह श्री रामजी साह समाज के आदरणीय पुरुष हो चुके हैं । इन्होंने मथुरा के मेले के समय माल की बोली दस हजार की ली थी और वैलगाड़ियों में शिखर जी की यात्रा की थी, वापिस आने पर मेला भी करवाया था। इसी मेले मे आपने ११ सेर का लड्डू वाटा था ।
श्री अंगरेजीलाल जी की शिक्षा हिन्दी मिडिल तक ही हुई है, वैसे आपने साहित्य में अच्छी सफलता प्राप्त की है। फारसी एवं ऊर्दू के भी अच्छे ज्ञाता है। आप पुस्तैनी जमीदार थे, किसी समय आपका घराना बहुत धनी एवं सम्मानपूर्ण था। आज भी आपके परिवार की अच्छी प्रतिष्ठा एवं मान है और कार्य भी मुख्यतया कृषि का ही हैं। स्थानीय दि० जैन मन्दिर का जो कि आपके पूर्वजों द्वारा बनवाया गया था आपने जोर्णोद्धार करवाया है । आपकी धर्म-भावना एवं समाज-प्रेम प्रशंसनीय है ।
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आपकी धर्म पत्नी श्री सूर्यकान्तादेवी जैन भी आपके अनुरूप ही धर्म-भावना की श्रेष्ठ महिला हैं। आपके पाँच पुत्र हैं। यह सब उच्च शिक्षा प्राप्त कर विभिन्न विभागों मे कार्य कर रहे हैं। टूण्डला में आपकी दो किराने की दुकानें भी हैं।
आपका पूरा परिवार धर्म-भावना से युक्त तथा सुसंगठित और और आदर्श परिवार है । आप वर्तमान में अपना समय धर्म चिन्तन एवं समाज सेवा तथा धर्म ग्रन्थों के अवलोकन में लगा रहे है। समाज में आपको वयोवृद्ध अनुभवी के रूप में देखा जाता है।
श्री गौरीशंकरजी जैन, कुतकपुर
श्रीमान् ठाता गौरीशंकरजी कुतकपुर (आगरा) के लब्ध प्रतिष्ठित स्व० श्री ० लाला लाहोरीमलजी के भतीजे एवं श्री० छाला गुलजारीलाल जी के सुपुत्र हैं।
गाँव में आपके घर पर घी एवं गल्ले का अच्छा व्यवसाय होता था और आप जमीढार htt | व्यापार में आप बड़े दक्ष एवं कार्यकुशल व्यक्ति हैं। देवपूजा एवं स्वाध्याय में आप थे सदैव से प्रेम रखते आये हैं और गाँव मे आप सदैव गरीबों के शुभ चिंतक रहे। कॉग्रेस सरकार ने जब से जमींदारी प्रथा उठा दी है तभी से आप गाँव (कुतकपुर ) का सारा अपना कारोबार बन्द करके फीरोजाबाद में आकर रहने लगे हैं। आपके सुपुत्र श्री निरंजनलालजी भी आपके पास ही काम कर रहे हैं। आप भी धार्मिक एवं सरल परिणामी है प्रतिदिन 'चन्दग्रभ मंदिर' में श्री भगवंत का पूजन करते हैं। और समय समय पर धार्मिक कार्यों मे भाग लेते रहते हैं ।
वर्तमान में आपके एक पुत्र तथा एक सुपुत्रो एवं पुत्रवधू और एक पोता (नाती) व दो पोतियाँ (नातिन) हैं।