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(च) एक सर्वोत्तम धर्मशासक बना । इसीलिये साधुता के त्याग और शांति प्रधान मार्ग का अनुसरण करते हुए भी आप ने शासन की रक्षा और प्रभावना के-निमित्त अपनी स्वाभाविक ओजस्विता और प्रकाण्ड प्रतिभा को उपयोग में ला कर एक प्रौढ़ शासक के कर्तव्य का पूर्णरूप से . पालन किया । _ एवं विरोधी सम्प्रदायों के जैनधर्म पर होने वाले आक्षेपों का निराकरण करना तथा मूर्तिपूजा के विरोधी ईसाई, मुसलमान, आर्यसमाज और ब्रह्मसमाज इन. चार प्रबल शक्तियों की प्रतिद्वंदता में मूर्तिपूजा के सिद्धांत का निर्भ.. यता से प्रचार करना, और उस- में अभीष्ट. सफलता का . प्राप्त करना इन्हीं के दृढ़तर आत्मविश्वास और प्रतिभावल के आभारी है । आप की प्रतिभासम्पत्ति का परिचय भी आप - की ग्रंथ रचना से भलीभांति -विदित हो. सकता है । जैन साहित्य के - अतिरिक्त वैदिक : वाङ्मयमें भी आप की .कितनी व्यापक .गति, थी, इस-का अनुः मान भी आप के निर्माण किये हुए- ग्रंथों से बखूवी लगसकता है । आज ऐतिहासिक जगत् में-- तत्त्वज्ञान संबंधी. जितनी भी. गवेषणाये हुई हैं, उन सब का सूत्रपात आप के ग्रंथों में मिलता है। आप ने प्रस्तुत ग्रन्थ के अतिरिक्त
और भी बहुत से ग्रन्थों की रचना की है । जिन में अज्ञानतिमिरभास्कर, - तत्त्वनिर्णयप्रासाद, -- चिकागोप्रश्नोत्तर