________________ પુર जैनतत्त्वादर्श पंक्ति शुद्ध 484 486 48 પૂ૦૨ अशुद्ध सद्धपना सिद्धपना साहुसुआसाहु० साहुसु असाहु० सगरोपम सागरोपम वो मी वो भी इस वास्से इस वास्ते कर्भफलोदय कर्मफलोदय होवे तत्संहृत्य तत्संहत्य तत्त्वमुत्तम् तत्वमुत्तमम् यागी योगी ख्यानी ख्यानी 507 508 510 हावे 192zvo' or" worr 564 528 550 561 मुख नहीं मुख नहीं भराधक आराधक