SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रथम परिच्छेद प्रत्येक तीर्थकर के बावन बोल सं० बोल श्री धर्मनाथ श्री शान्तिनाथ ३५ चौदह पूर्वधारी ६०० ३६ श्रावक संख्या २०४००० ३७ श्राविका संख्या ४१३००० ३८ शासन यक्ष नाम किन्नर यक्ष ३६ शासन यक्षिणी नाम कन्दर्पा ४० प्रयम गणधर अरिष्ट ४१ प्रथम आर्या आर्यशिवा ४२ मोक्षस्थान समेतशिखर ४३ मोक्ष तिथि ज्येष्ठ श. ५ ४४ मोक्ष संलेखना १ मास ४५ मोक्ष आसन कायोत्सर्ग ४६ अन्तरमान ३ सागरोपम ४७ गण नाम देव ४८ योनि मार्जार ४६ मोक्ष परिवार १०८ ५० भत्र संख्या ३ भव ५१ कुलगोत्र इक्ष्वाकु ५२ गर्भकालमान ८ मास २६ दिन ८०० १६०००० ३६३००० गरुड यक्ष निर्वाणी चक्र युद्ध शुचि समेतशिखर ज्येष्ठ व. १३ १मास कायोत्सर्ग ॥ पल्योपम मानव हस्ती ९०० १२ भव इक्ष्वाकु ९ मास दिन
SR No.010064
Book TitleJain Tattvadarsha Purvardha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1936
Total Pages495
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy