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________________ साहित्य-समालोचना म अकलंक-ग्रन्थमाला की तीन पुस्तके (१) जैनधर्म पर लोकमान्य तिलक का भाषण और प्रसिद्ध विद्वानों का अमिमत; पृष्ठ ४० (क) स्याद्वाद-परिचय ; पृष्ठ २८ । (३) कर्मसिद्धान्त-परिचय ; पृष्ठ ४१ । — इन तीनों पुस्तकों के लेखक श्रीयुत पं० अजितकुमार जी शास्त्री, मुलतान हैं। पुस्तकों का विषय नाम से ही स्पष्ट है। विद्वान् लेखक ने अपने अभीष्ट विषयों पर संक्षेप में अच्छा प्रकाश डाला है। पुस्तकों का चाक-चिक्य, मुद्रण एवं कागज आदि भी सुन्दर हैं। खास फर इन पुस्तकों को अधिक संख्या मे विना मूल्य जैनेतर विद्वानों में वितरणं करने की बड़ी जत्रत है। मैं जहाँ तक समझता हूं उक्त ग्रन्थमाला का भी यही ध्येय होगा। मैं आशा करता है कि प्रस्तुत ग्रंथमाला में क्रमशः दशधर्म, द्वादश भावना, गृहस्थधर्म, निर्वाण, आवागमन जैनियों को पूजा, आत्मज्ञान, ॐ की एकीकरण शक्ति आदि अन्यान्य विषयों की भी पुस्तके प्रकाशित होती रहेगी। -के० भुजबली शास्त्री कथा-कुसुमावली लेखक-जयकुमार शर्मा ; पृष्ठसंख्या १३९; मूल्य-आठ आने। प्रकाशक-रावजा सम्बाराम दोशी, कल्याण पावर प्रेस, शोलापुर। यह एक हाई इगलिश स्कूल मे पढ़ायी जानेवाली संस्कृत पाठ्यपुस्तक हैं। प्रणेता ने इस म्वनित पदा-द्वारा इसके प्रकाशक महोदय को ही समर्पित किया है। इसमे गद्य-पद्य दोना । गा लेखक का ही नात होता है, पर पद्य महापुराण, यशस्तिलकचम्पू, वद्धमानचरित "पानिपुरागा एवं कान्य मे उद्धृत किये गये हैं। इसमे "अकुतोभयो हि महावीरः" आदि न पाठ। इनके अतिरिक्त वाक्यरचना की विशेपता और शब्दरत्नाकर (कठिन अथवा गगन गगन शन्दी का मराठी और हिन्दी मे अर्थ) भी अङ्कित है। प्रारंभ मे कई कृतविद्या प्रोफेसर तथा संस्कृत पाठशालाध्यापको के प्रशंसापत्र भी सन्निबद्ध हैं, जिनमें प्रस्तुत प रि -भूरि प्रशंमा की गयी है। उत्साही लेखक संस्कृत लिखने मे सिद्धहस्त माला परा।। यो नो अंग्रेजी स्कूलो में पढ़ाई जानेवाली बहुतेरी संस्कृत-रीडरें मेरी नज़रास गन। परनपगिता में जैनशास्त्रानुसार संस्कत-रीडर लिखने का आपका ही यह प्रथम प्र भागा। आपको लेसनी में और भी उत्तरोत्तर विकसित रूप में संस्कृत पाठयmii संगी। यो नो अशुद्वियों वहत हैं, पर अन्त मे अशुद्धि-पत्र लगा दिये गये हैं। -हरनाथ द्विवेदी, काव्य-पुराण-तीर्थ
SR No.010062
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain, Others
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1940
Total Pages143
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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