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पाठ २१-चलना। वालको ! चलना एक ऐसी अच्छी कसरत है जिसकी वराबरी दूसरी कोई भी कसरत नहीं कर सकती है । जो चालक प्रति दिन थोड़ा बहुत चलने का अभ्यास रखता है उसे कभी अजीर्ण नहीं होता है। उसके शरीर में रोगीली चर्बी भी नहीं बढ़ती, शरीर हलका फुर्तीला व निरोग रहता है । काम नहीं करने से, खली हवा में नहीं चलने से शरीर रोगी, भारी, सुस्त और निकम्मा हो जाता है, कभी अधिक चलने और दौड़ने की आवश्यकता पड़े तो भी महनती लड़का सब से कम थकेगा। एक अमेरिका के डाक्टर इसीलिए लिखते हैं कि प्रत्येक बालक को अपनी शक्ति अनुसार १ से ३ माइल तक प्रति दिन चलना चाहिये । अंग्रेजी पत्र 'डेली मेल' में एक रिमार का दृष्टान्त लिखा था-वह हमेशा बिमार रहता था, सदा नई नई दवाइऐं खाता था । परन्तु किसी भी दवा से फायदा न होने के कारण वह निराश हो गया था । एक डाक्टर की सलाह से उसने यही चलने की कसरत थोड़ी २ शुरू की और थोड़े ही मास में वह निरोग हो
।इस कसरत के वास्ते सब से उत्तम समय सुबह है। --