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________________ इनका उपयोग लेना चाहिए। मंदिर प्रवेश के बाद हमें वहां क्या करना चाहिए और कैसा उपयोग रखना चाहिए यह जानना हमारे लिए अति आवश्यक है। पूरे विधि-विधान को जानने के लिए तो हमें ऐसी पुस्तकों का सहारा लेना पडेगा जिनमे दर्शन और पूजा की विधि विस्तार से लिखी हो। वस्तुत भूलो से जो हमें क्षति पहुँचती है हम उन्हें रोके और उपयोग की कमी से जो हमे कम लाभ मिलता है उसे सीख कर अधिक लाभ उठावे। __ हमारा उद्देश्य यही है कि मन का विपयो और कषायो की तरफ झुकने का जो आनादि काल का स्वभाव है, उसे रोकें। मन जब विषयो और कषायो से हट जायेगा तभी हमे परम आनन्द की प्राप्ति का अनुभव होगा। पुरुषार्थ ही प्रधान :-यह हम जानते है कि अभी हम बहुत कमजोर है और हमारे मन का वेग बडा प्रबल है इसलिए अपने उद्देश्य पूर्ति के लिए, हमने ऐसे महापुरुषो की मूर्ति का सहारा लिया है, जिन्होने अपने जीवन में सफलतापूर्वक अपने मन पर विजय प्राप्त की थी। ये विजेता अपनी सहायता देकर हमें विजयी बना देगे, चाहे हम कमजोर ही क्यो न हो, ऐसी बात बिल्कुल नहीं है। विजय हमारी तभी सभव होगी जब हम विजय के लिए पुरुषार्थ करेंगे। वे हमारी विजय के उतने ही निमित्त बन सकते हैं जितना एक पहाड की चोटी का विजयी, किसी ऐसे अन्य का जो वैसी ही सफलता की कामना रखता हो, निमित्त बनता है। चोटी पर विजय मे वह तभी सफल होगा जव स्वय प्रयत्ल करेगा। विजेता के तौर-तरीको का अनुकरण करके वह अपने मार्ग को सरल बनाता हुआ, अच्छा लाभ उठा सकता है। अनेक भूलो और ठोकरो से बच सकता है और विजेता की देखा-देखी करता हुआ-अपने में अपूर्व जोश और रुचि की मात्रा जगा- आसानी से शीघ्र सफलता भी प्राप्त कर सकता है। सौभाग्य से यदि उसे, विजेता के उस प्रयत्न की फिल्म देखने को मिल जाय तो वह अवलम्बन उसके लिए कितना सहायक रहा, यह तो सही-२ वह पथिक ही हमे बतला सकता है। एक प्रश्न उठ सकता है कि पहाड की चोटी के विजेता के अनुभवो को जानकर अथवा उसके कार्य-कलापो की साक्षात् फिल्म को देख कर, ऐसा ही प्रयास करने वाले को, कुछ प्रेरणा मिलने की अवश्य सम्भावना है; पर उसकी मूर्ति को देखकर या पूज कर उसके लिए किस लाभ की सम्भावना है ? १७२
SR No.010055
Book TitlePooja ka Uttam Adarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPanmal Kothari
PublisherSumermal Kothari
Publication Year
Total Pages135
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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