SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 102
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बतलाया जा सकता है कि यह हमारे किन्ही जिनराज भगवान की मूर्ति है। मूर्ति विशेष को पहचानने के लिए उस पर अकित नाम या उनके पहचान का लक्षण ही काम में लाना पडता है । मूर्ति का पहले वाला नाम और लक्षण परिवर्तन करके दूसरा नाम और लक्षण लिख दें तो वही मूर्ति पहले भगवान की न रह कर दूसरे भगवान् की बन जाती है | महात्मा गाधी की मूर्ति को, कोई सरदार पटेल की मूर्ति नही मान सकता । गाधीजी की मूर्ति के नीचे यदि पटेल का नाम लिख दें तो लोग शीघ्र भूल पकड लेगे । कारण स्पष्ट है, महात्माजी की आकृति सरदार पटेल की आकृति से विलकुल भिन्न है । जब दो पुरुषो की आकृति भी एक मूर्ति द्वारा नही दिखाई कती तब एक ही मूर्ति से समस्त तीर्थंकरो की आकृति का कैसे बोघ हो रहा है ? द्रव्य शरीर की रूप-रेखाये तो तीर्थंकरो की भी जरूर ही भिन्न-भिन्न रही होगी । तव यह मूर्ति उनके द्रव्य शरीर की नही है, ऐसा निश्चय पूर्वक कहा जा सकता है | एक ही मूर्ति जब सब जिनराजो की कही जा सकती है तब निश्चय ही इसका कोई गंभीर एवं सूक्ष्म कारण है । जब हम इस कारण का पता लगाते हैं और किसी ऐसी समानता को खोजते हैं जो सब जिनराजो में एक-सी रही हो तो हमे पता चलता है कि उनमें 'गुण' समान रूप से अवस्थित थे । तब निश्चय यह मूर्ति जिनराज भगवान के गुणो ही की रूप-रेखा है । इतना समझने के बाद, हम कह सकते है कि हम परमात्मा के द्रव्य शरीर के पुजारी नही सिर्फ उनके गुणो के पुजारी है । हम गुणो का बहुमान करते हैं और गुणों को ही प्रधानता देते हैं । प्रश्न किया जा सकता है कि जब यह गुणो की मूर्ति है तब इसे किसी व्यक्ति विशेष के नाम से क्यो सम्बोधित करते है ? यदि आप से कहा जाय कि मुस्कराहट का चित्र बनाइये तो किसी व्यक्ति को आधार माने विना कैसे बनायेगे ? यदि दस हँसते हुए बालको की तस्वीर आपके सामने रखी जाय और आप से पूछा जाय कि इनमे किसकी मुस्कान आपको ज्यादा अच्छी लगती है तो आप उस चित्र में किस $ वस्तु को देखेगे ? मुस्कराहट को ही न ? आप उन बालको को नही पहचानते । आप उन बालको को नही देख रहे हैं । आप देख रहे हैं सिर्फ उनकी "मुस्कराहट " । निष्कर्ष यह कि बिना माध्यम के हमारा काम चल नही सकता । १६८
SR No.010055
Book TitlePooja ka Uttam Adarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPanmal Kothari
PublisherSumermal Kothari
Publication Year
Total Pages135
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy