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जैनसम्प्रदायशिक्षा |
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विचार करने पर पाठकों को इस के अनेक प्राचीन उदाहरण मिल सकते हैं अतः हम उन ( प्राचीन उदाहरणों) का कुछ भी उल्लेख करना नहीं चाहते हैं किन्तु इस विषय के पश्चिमीय विद्वानों के दो एक उदाहरण पाठकों की सेवा में अवश्य उपस्थित करते हैं, देखिये - अठारहवीं शताब्दी ( सदी) में मेस्मरे " एनीमल मेगनेतीज़म" ( जिस ने अपने ही नाम से अपने आविष्कार का नाम “मेस्मेरिज़म" रक्खा तथा जिस ने अपने आविष्कार की सहायता से अनेक रोगियों को अच्छा किया) का अपने नूतन विचार के प्रकट करने के प्रारम्भ में कैसा उपहास हो चुका है: यहाँ तक कि - विद्वान् डाक्तरों तथा दूसरे लोगों ने भी उस के विचारों को हँसी में उड़ा दिया और इस विद्या को प्रकट करने वाले डाक्तर मेस्सर को लोग ठग बतलाने लगे, परन्तु "सत्यमेव विजयते" इस वाक्य के अनुसार उस ने अपनी सत्यता पर दृढ़ निश्चय रक्खा, जिस का परिणाम यह हुआ कि उस की उक्त विद्या की तरफ कुछ लोगों का ध्यान हुआ तथा उस का आन्दोलन होने लगा, कुछ काल के पश्चात् अमेरिका वालों ने इस विद्या में विशेष अन्वेषण किया जिस से इस विद्या की सारता प्रकट हो गई, फिर क्या था इस विद्या का खूब ही प्रचार होने लगा और थियासोफिकल सुसाइटी के द्वारा यह विद्या समस्त देशों में प्रचरित हो गई तथा बड़े २ प्रोफेसर विद्वान् जन इस का अभ्यास करने लगे ।
दूसरा उदाहरण देखिये - ईखी सन् १८२८ में सब से प्रथम जब सात पुरुषों ने मद्य ( दारू वा शराब) के न पीने का नियम ग्रहण कर मद्य का प्रचार लोगों में कम करने का प्रयत्न करना प्रारंभ किया था उस समय उन का बड़ा ही उपहास हुआ था, विशेषता यह थी कि-उस उपहास में विना विचारे बड़े २ सुयोग्य और नामी शाह भी सम्मीलित ( शामिल ) हो गये थे, परन्तु इतना उपहास होने पर भी उक्त ( मद्य न पीने का नियम लेने वाले ) लोगों ने अपने नियम को नहीं छोड़ा तथा उस के लिये चेष्टा करते ही गये, परिणाम यह हुआ कि- दूसरे भी अनेक जन उन के अनुगामी हो गये, आज उसी का यह कितना बड़ा फल प्रत्यक्ष है कि-इंगलैंड में ( यद्यपि वहाँ मद्य का अब भी बहुत कुछ खर्च होता है तथापि ) मद्यपान के विरुद्ध सैकड़ों मंडलियाँ स्थापित हो चुकी हैं तथा इस समय ग्रेट ब्रिटन में साठ लाख मनुष्य मद्य से बिलकुल परहेज़ करते हैं इस से अनुमान किया जा सकता है कि-जैसे गत शताब्दी में सुधरे हुए मुल्कों में गुलामी का व्यापार बन्द किया जा चुका है उसी प्रकार वर्तमान शताब्दी के अन्त तक मद्य का व्यापार भी अत्यन्त बन्द कर दिया जाना आश्चर्यजनक नहीं है ।
इसी प्रकार तीसरा उदाहरण देखिये - यूरोप में वनस्पति की खुराक का समर्थन और मस की खुराक का असमर्थन करने वाली मण्डली सन् १८४७ में मेनचेष्टर में थोड़े से पुरुषों ने मिल कर जब स्थापित की थी उस समय भी उस ( मण्डली) के सभासदों का