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________________ ७२६ जैनसम्प्रदायशिक्षा ॥ १९-उक्त बारह राशियों से बारह महीने भी जान लेने चाहिये अर्थात् ऊपर लिखी जो सङ्क्रान्ति लगे वही सूर्य, चन्द्र और सुखमना के महीने समझने चाहिये। २०-यदि कोई मनुष्य अपने किसी कार्य के लिये प्रश्न करने को आवे तथा अपने सामने बायें तरफ अथवा ऊपर (ऊँचा ) ठहर कर प्रश्न करे और उस समय अपना चन्द्र खर चलता हो तो कह देना चाहिये कि-तेरा कार्य सिद्ध होगा। २१-यदि अपने नीचे, अपने पीछे अथवा दाहिने तरफ खड़ा रह कर कोई प्रश्न करे और उस समय अपना सूर्य खर चलता हो तो भी कह देना चाहिये कि-तेरा कार्य सिद्ध होगा। २२-यदि कोई दाहिने तरफ खड़ा होकर प्रश्न करे और उस समय अपना सूर्य खर चलता हो तथा लगा वार और तिथि का भी सब योग मिल जाये तो कह देना चाहिये कि तेरा कार्य अवश्य सिद्ध होगा। . २३-यदि प्रश्न करने वाला दाहिनी तरफ खड़ा हो कर वा बैठ कर प्रश्न करे और उस समय अपना चन्द्र खर चलता हो तो सूर्य की तिथि और वार के विना वह शून्य (खाली) दिशा का प्रश्न सिद्ध नहीं हो सकता है। २४-यदि कोई पीछे खड़ा हो कर प्रश्न करे और उस समय अपना चन्द्र खर चलता हो तो कह देना चाहिये कि-कार्य सिद्ध नहीं होगा। २५-यदि कोई बाई तरफ खड़ा हो कर प्रश्न करे तथा उस समय अपना सूर्य खर चलता हो तो चन्द्र योग स्वर के विना वह कार्यसिद्ध नहीं होगा। २६-इसी प्रकार यदि कोई अपने सामने अथवा अपने से ऊपर (ऊँचा) खड़ा हो कर प्रश्न करे तथा उस समय अपना सूर्य खर चलता हो तो चन्द्र खर के सब योगों के मिले विना वह कार्य कभी सिद्ध नहीं होगा। स्वरों में पांचों तत्वों की पहिचान ॥ उक्त दोनों (चन्द्र और सूर्य ) खरों में पाँच तत्त्व चलते हैं तथा उन ( तत्त्वों ) का रंग, परिमाण, आकार और काल भी विशेष होता है, इस लिये खरोदयज्ञान में इस विषय का भी जान लेना अत्यावश्यक है, क्योंकि जो पुरुष इन के विज्ञान को अच्छे प्रकार से समझ लेता है उस की कही हुई बात अवश्य मिलती है, इस लिये अब इन के विषय में आवश्यक वर्णन करते हैं: १-मङ्गल, शनि और रवि, इन चारों का खामी सूर्य खर है तथा सोम, बुध, गुरु और शुक्र, इन चारों का खामी चन्द्र खर है ॥ २-बहुत जरूरी ॥
SR No.010052
Book TitleJain Sampradaya Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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