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(१२) बौद्धधर्म की स्थापनाके पूर्व जैनधर्म का प्रकाश फैल रहा था। बौद्धधर्म पीछे से हुआ, यह बात निश्चित है।
हंटर साहिब अपनी पुस्तक इन्डियन इम्पायर के पृष्ठ २०६ पर लिखते हैं कि
जैनमत बौद्धमत से पहिले का है। श्रील्डनवर्ग ने पाली पुस्तकों को देखकर यह बात कही है कि जैन और निग्रन्थ एक है । इनके रहते हुए बाद में बौद्धमत उत्पन्न हुआ। (See Budha's hfe and Haey's translation 1882)
जैनधर्म इतना ही बौद्धमत से भी भिन्न है जितना भिन्न कि हम उसे किसी भी और मत से कह सकते हैं :
८. बौद्धों के ग्रंथों में जैनों का संकेत __ "ऐतिहासिकखोज" ( Historical Gleanings) नाम की पुस्तक में, जिसका बावू विमल चरण ला एम ए. बी. एल. न०२४ सुकिया स्ट्रीट कलकत्ता ने सन् १९२२ में सम्पादन कर प्रकाशित कगया है, इस सम्बन्ध में बहुत से प्रमाण लिखे है। जिनमें से कुछ यहां नीचे दिये जाते है :
(१) गौत्तमबुद्ध राजग्रही में निग्रंथ नातपुत्र (श्री महावीर) के शिष्य चलसकुल दादी से मिले थे।
[मन्भमनिकाय अ०२] (२) श्री महावीर गौतमवुद्ध से प्रथम निर्माण हुए। [ममम निकाय साम् गामसुत व दिग्धनिकाय पातिक सुत्त]
(३) वुद्धने अचेलको [नन दिगम्बर माधुओं] का वर्णन लिखा है।
[दिग्धनिकाय का कस्सप सिह नादे]