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अनेक रोग हो जाते है। मांस को भी किसी मानव के लियेज़रूरत नहीं है । इस में शक्तिवर्धक अन्श भी बहुत थोड़े हैं ।
The toiler and his food by Sir William Earn shaw cooper C. I. E. नाम की पुस्तक में लिखा है कि जब बादाम आदि में १०० मे ६१, मटर चने चावल में ८७, गेहूँ मे ८६, जौ में ८४, घी में ७, मलाई में ६६ अन्श शक्ति है तब मांस २८, अन्डे में २६ श्रश है। बड़े २ प्रवीण डाक्टरों का मत है कि मनुष्य के लिये इसकी ज़रूरत नही ।
Dr. Josiah Oldfield D. C. L M. A M. R. C SRC. P. senior physician Margaret Hospital, Bronloy कहते हैं :
Today there is the scientific fact assured that man belongs not to the flesh-eater but to the frut-eaters Flesh is unnatural food & there - fore tends to create functional disturbances
भावार्थ - विज्ञान ने यह विश्वास आज दिला दिया है कि मनुष्य मांसाहारियों में नहीं, किन्तु फलाहारियों में है । मनुष्य के लिये मांस स्वाभाविक आहार है, जिस से शरीर चहुत उत्पात हो जाते हैं ।
में
विदेशों के बडे २ लोग मांस नही खाते थे। यूनान के पैथोगोरस, प्लेटो, श्ररिष्टाटल, साकटीज़ पारसियों के गुरु जोरस्टर, ईसाई पादरी जेम्स, मेन्यू पेटेर । अनेक विद्वान् जैसे मिल्टन, इजाक, न्यूटन, वेनजामिन फ्रँकलिन, शेल्ली.... एडीसन |