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( २२२) श्री दत्त वैश्य ने व्यापारार्थ समुद्र यात्रा की
(५) उच्च वर्ण वाला खोटे आचरण से पतित हो सकता है
उत्तरपुराण पर्व ७४-एक श्रावक ने एक ब्राह्मण को जाति मूढ़ता व जाति मद हटाने को यह उपदेश किया कि
तस्य पाखण्ड मौयंच युक्किमि स निराकृतः । गोमांस भक्षणागम्य गमाद्यैः पतिते क्षणात् ॥
भावार्थ-गौमांस खाने व वैश्यागमन करने आदि से ब्राह्मण पतित हो जाता है, ऐसा कह कर उसकी जाति मूढ़ता को युक्तियों से खण्डन किया।
(६) मामीके पुत्र के साथ बहिनका विवाह होता था। १. उत्तर पुराण पर्व ७५ श्लोक १०५स्वमातुलानी पुत्राय नन्दिग्राम निवासने । कुलवाणिज नाम्ने स्वामनुजा मदितादरात ॥ १०५॥ २ क्षत्रचूड़ामणि १० लम्ब
अपने मामा गोविन्दराजकी कन्या विमलाको जीवंधर ने ब्याहा।
(७) गर्भाधान आदि संस्कार होते थेउत्तर पुराण पर्व ७५ श्लोक २५०
वर्तमान में भोजनशुद्धि, छः आवश्यकों का पालन, जिनचैत्यालय, साधुसङ्गति न होने से समुद्रयात्रा निषिद्ध है। यदि उक्त योग मिल जाय तो कोई दोष नहीं है, किन्तु मद्य, मांस के अत्यधिक प्रचार होने पर उक्त बाते कहाँ से मिल सकती हैं । ( सम्मति पं० माणिकचन्द जी)