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________________ प्राक्कथन यह सच है कि धर्म कुछ शब्दो के अर्थ समझ लेने या कुछ क्रियाओ के दोहरा लेने से समझ मे आने वाला नही है वह शब्दातीत है । यह भी सच है कि धर्म का रहस्य अनुभव से ही खुलता है। धर्म एक प्रयोग है वह सिर्फ विचारो का जोड नही है पर क्या करूँ शब्दातीत और अनुभवगम्य धर्म का क ख ग सीखने मे शब्द मदद करते हे और अनुभव की ऊचाईयाँ छूने के लिए श्रेष्ठ विचारो की ठोस जमीन पर पैर टिकाना पड़ता हे, सो जैनदर्शन के अनुभवी आचार्यो के द्वारा कहे गए कुछ शब्दो और उनके भावो का परिचय इस शब्द कोश मे सग्रहीत करने का प्रयास कर रहा हूँ। यह कार्य बडे धेर्य और सतत् श्रुताभ्यास का है । यदि मे अल्पज्ञता और प्रमादवश कही चूक गया होऊँ तो सभाल लीजिएगा। कही कुछ छूट गया हो तो जोड लीजिएगा । मेरा मन था एक छोटा-सा शब्द कोश इस तरह का हो कि उस व्यक्ति हमेशा अपने साथ रखे और समय पर तत्काल उससे लाभ ले सके। जेनदर्शन के कुछ शब्द इतने 'यूनिक' और 'टेक्नीकल' हे कि उनका अर्थ विशेष अध्ययन के उपरान्त ही स्पष्ट हो पाता है । सामान्य पाठक कई बार जैनदर्शन का अध्ययन करते समय या धर्मोपदेश आदि सुनते समय शब्दो का अर्थ स्पष्ट न हो पाने के कारण मुश्किल का अनुभव करता
SR No.010043
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamasagar
PublisherKshamasagar
Publication Year
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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