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जय शंभव स्वयंभू भगवाना। . अतुल शक्ति दर्शन मुखझाना ॥३॥ जय अभिनंदन अभय पद दाता ।
तिलक त्रिलोक नाथ जग त्राता। जय श्री सुमति सुमति परकाशी।
ज्योति स्वरूप भलख भविनाशी ॥४॥ जय श्री पदम पदम पद सोहै।
देखत त्रिभुवन जन मन मोहै ।। जय सुपार्श्व तुम शिवार राई ।
अक्षय ऋद्धि अक्षय पद दाई ।।५।। जय श्रीचंदसेन नृप नंदा ॥
चित चकोर तुम चर्णन चदा।। जय श्री. पुष्पदंत भगवंसा ।
ले छियालीस भये भगवंता ॥१॥ जय शीतल शीतल गुपधारी।
क्रोध मोह मद लोभ निवारी ॥ जय श्रेयांस मिथ्यात पिनाशी।
द्वादशांग वाणी परकाशी ||७|| जय श्री वासुपूज्य जग ईशा ।
सेवें पद सुर ईश मुनीशा ॥