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________________ दश- वैकालिक - सूत्र | अथ पंचम अध्ययन द्वितीयद्दश । सेइ हेतु मुनिवर भिक्षार समये । दाइवे एकधारे संयत हइये ॥ १२ भिक्षाय निषेध दान भिक्षुक पाइया । निवर्तित हइयाछे साधुरां हेरिया || आहार पानीय द्रव्य साग्रहे लइवे । संयत साधक परे चलिया याइवे ॥१३ कमल कुमुद किम्बा फल मल्लिकादि । सजीव आनिया दात्री छिन्न करे यदि ॥ तादृश आहार्य आर पानीय गृहीर । अकल्पित साधुदेर आगम विधिर ॥ सेइ हेतु उहा दिले साधु ना लइवे । अभिप्रेत नहे भिक्षा विनये वलिवे ||१४|१५ मल्लिका उत्पल पद्म पुष्प अगणन | सजीव मद्दन करि गृहिणी कखन ॥ आहा पानीय द्रव्य प्रस्तुत करिया । भिक्षा दिते आसे कभु सुनीति भुलिया ॥ वलिवे अग्र हा भिक्षा' नहे अभिप्रेत । लइते ना पारे साधु विधान वर्जित ।।१६।१७ उत्पलेर कन्द शालु कन्द- पलाशेर । उत्पल 'नालिका इक्षुदण्ड वा पद्मरे ॥ कन्द रम्य मृणालिका सचित्त पल्लव | सर्प नालिका fear वृक्ष तृणोद्भव ॥ ७७
SR No.010036
Book TitleAgam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnibhushan Bhattacharya
PublisherParshwanath Jain Library Jaipur
Publication Year
Total Pages207
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashvaikalik
File Size5 MB
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