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परिशिष्टं। रथनेमि ओ राजीमतीर उपाख्यान ।
रथनेमि मनोवल :नष्टप्राय, हेरि। वलेन सुमिष्टस्वरे राज़ार कुमारी ॥ . जानिओ जगते .सवे कालेर, कवलें। पड़िवे मरणकाल आगत हइले ।।: धर्माधर्म विचारे ये शकति विहीन । जाति कुल रक्षाकरा ताहार कठिन ॥. वैश्रवण इन्द्र नल हते यदि तुमि । . अनादर करिताम राजीमती आमि ।। ।