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दश-वैका लिक-सूत्र |.
सप्तम अध्ययन |
काटिवार योग्य इहा पक्क मध्यभाग । कोमलता युक्त इहा हवे दुइभागं ॥ एइरूप कथा साधु कभु ना वलिवे। अहिंसा पालने सदा सतर्क थाकिवे ||३२ असमर्थ आम्र वृक्ष फलेर धारणे । इहारा अनेक फल धरे क्षणे ॥ ग्रहणेर कालयोग्यं फल धरे एरा । सुकोमल फल धरि रहेछे इहारा ॥ पथे साधु पूर्व्वरूप नेहारि पथिके ! पथ परिचय सूत्रे वलिवे ताहाके ॥ ३३ शाल्यादि ओषध पक्क, नील ए शवय । काटन रोपण योग्य धान्यादि निचय । भाजिवार योग्य इहा वालभक्ष्य हय । वलिवेना उक्तरुपे साधु सहृदय || ३४ पथ प्रदर्शन आदि कार्य्ये साधुगण । निम्नरुपे वलिवेक अति विचक्षण ।। प्रादुर्भूत हइयाछे हेया कत धान । निष्पादनप्राय इहा कर प्रणिधान || आरओ रहेछ कत निष्पन्न निर्गत | निर्वात शीर्षक इहा किम्वा विपरीत ।। सात तण्डुल आदिसार एइस्थाने । रहिया वलिवेक पर भाषणे ॥ ३५