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दश-चैकालिक-सूत्र ।
सप्तम अध्ययन । शब्दावधारणे आछे भाषा चतुर्विध । स्वरूप - निर्णये रत हवेन विबुध ।। सत्य-व्यवहारिकेर शुद्ध ये प्रयोग! उहातेइ करिवेन चित्तेर नियोग ।। असत्य, सर्व प्रकारे मिथ्या सत्ययुत। बलिवेना भापा द्वय नीति वहिर्भूत ।।१ भाषा याहा सत्य किन्तु, पीड़ाप्रदायिनी। अव्यक्तव्य याहा भवे अश्लीलरूपिणी ।। सत्य मिथ्यायुक्त भापा, पल्लीते कथित । मिया याहा शास्त्रमते हय अभिहित ॥ तीर्थङ्कर मते याहा व्यवहत नय। सेइ भाषा वलिवेना प्राज्ञ महोदय ॥२ ये भाषा मिश्रित नहे सत्य ओ मिथ्याय । पापहीन, सत्य याहा कोमल धराय ।।
प्रशस्त सुमिष्ट सेइ भाषा चमत्कार। .. असन्दिग्ध वलिवेन साधक उदार ॥३