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________________ ॥श्री॥ महा अमात्य वस्तुपाल तेजपाल ॥ [वंशवर्णन] ___ पाटणमें "पोरवांड"वंशके लोग चावडा और चौलुक्य राजाओंके कार्यवाहक चिरकालसें अर्थात् विक्रम सं० ८०२ सें राज्यव्यापारमें तत्पर थे। इस पवित्र और प्रख्यात वंशमें चंडप नामका एक मंत्री हुआ, उसका लडका चंडप्रसाद उसका पुत्र सोम और सोमका लड़का अश्वराज (आसराज) हुआ। सोममंत्री महाराज सिद्धराज जयसिंहका वडा प्रीति और विश्वासपात्र था। अश्वराजभी पिताके अधिकारको सुरक्षित करने में बडा कुशल और समर्थ था, इसलिये उस समयके महाराजका उसपर बडा प्रेम और हार्दिक विश्वास था । अश्वराज जैसा राज्य १जैनसप्रदायमे मुख्य तीन वैश्य जाति है ओसवाल (१) पोरवाद (२) और श्रीमाली (३) ओसवालोंकी उत्पत्ति जैसे मुख्यवृत्तिसे ओसिया नगरीमें मानी जाती है, वैसे श्रीमाली लोगोंकी उत्पत्ति मारवाड़ राज्यान्तर्गत "श्रीमाल" (भिन्नमाल) नगर माना जाता है परंतु पोरवाह वंशकी स्थापना किस गाममें किस साल सवत्मे हुई सो पता नहीं चलता। परंतु "राणकपुर "के नौलोक्यदीपक प्रासादके देखनेसे और आबुके मंदिरोंकी अकलीम कारीगिरी देखनेसे उनकी उदारता और धर्मप्रियताका तो पूरा पूरा अनुभव हो जाता है।
SR No.010030
Book TitleAbu Jain Mandiro ke Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1922
Total Pages131
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size5 MB
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