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प्रथम पर्व
.५४५ आदिनाथ-चरित्र ..." हे श्रीप्रतिष्ठ राजाके कुलरूपी गृहके प्रतिष्ठा-स्तम्भ-स्वरूप और पृथ्वी माता-रूपी मलयाचलके चन्दनके समान सुपार्श्वनाथ! मेरी रक्षा करो।
“हे महासेन राजाके वंशरूपी आकाशके चन्द्रमा और लक्ष्मणा देवीके कोख-रूपी सरोवरके हंस चन्द्रप्रभुजी! तुम्हीं मेरी रक्षा करो
. "हे सुग्रीव राजाके पुत्र और श्रीरामादेवी-रूपिणी नन्दन-वन के कल्पवृक्षस्वरूप सुविधिनाथजी मेरा शीघ्र कल्याण कीजिय “हे दृढ़रथ राजाके पुत्र, नन्दादेवीके हृदयको आनन्द देनेवाले और जगत्को आह्वादित करनेमें चन्द्रमाके समान शीतलस्वामी । तुम मेरे लिये हर्षकारी हो। ____ “हे श्रीविष्णुदेवीके पुत्र, विष्णु राजाके वंशमें मोतीके समान
और मोक्षरूपिणी लक्ष्मीके स्वामी श्रेयांस प्रभु! तुम मेरे कल्याणके निमित्त हो। ___ “हे वसुपूज्यराजाके. पुत्र, जयादेवी-रूपिणी विदूर-पर्वतकी भूमिमें उत्पन्न रत्नके समान और जगत्में पूजनीयवासुपूज्यस्वामीजी तुम मुझे मोक्ष-लक्ष्मी प्रदान करो।
"हे कृतवर्म राजाके पुत्र और श्यामादेवी-रूपिणी शमोवृक्षसे उत्पन्न अग्निके समान विमलस्वामी! तुम मेरा मन निर्मल बनादो।
“हे सिंहसेन राजाके कुलमें मङ्गल-दीपकके समान, सुयशा देवीके पुत्र अनन्तभगवान् ! मुझो अनन्त सुख दो।
"हे सुव्रतादेवी-रूपिणी उदयाचल तटीके सूर्यस्वरूप, भानुराजाके पुत्र धर्मनाथ प्रभु ! तुम मेरी बुद्धिको धर्ममें लगा दो।