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प्रथम पर्व
आदिनाथ-चरित्र है। पर ठीक जानना, उन लोगोंमें बाहुबलीके पैदल सिपाहियोंकी बराबरी करनेवाला एक भी नहीं था। हवा जैसे रुईको उड़ा ले जाती है, वैसेही इस बाहुबलीका जेठा बेटा सोमयशा सारी सेना को दसों दिशाओंमें उड़ाकर फेंक देनेको समर्थ है। उमरमें छोटा और पराक्रममें बड़ा उसका सिंहरथ नामका छोटा भाई शत्रुओंकी सेनांके लिये दावानलके समान है। अधिक क्या कहूँ ? उसके अन्य पुत्रों और पौत्रोंमें भी एक-एक ऐसा है, जो अक्षौहिणी सेनामें मलके समान और यमराजके सदृश भय उत्पन्न कर सकता है। उसके स्वामिभक्त सेवक भी, जो ठीक उसके प्रतिबिम्ब मालम पड़ते हैं, बलमें उसकी समानता कर सकते हैं। औरोंकी सेनामें जैसे एकही महाबलवान् नायक होता है, वैसे उस की सेनामें सबके सब पराक्रमी हैं। महावाहु बाहुवली तो दूर रहे, उसका एक-एक सेनान्यह रणमें वज्रकी तरह अभेद्य है। इसलिये जैसे वर्षाऋतुमें मेघके साथ-साथ पुरवैया हवा चलती है, वैसे ही तुम भी युद्धके लिये यात्रा करते हुए सुषेणके पीछे-पीछे चले जाओ।"
अपने स्वामीकी अमृतसमान वाणीसे मानों उनके रोम-रोम भर गये हों, इस प्रकार उनके शरीरमें पुलकावली छा गयी।मानों प्रतिवीरों (शत्रुओं) की जयलक्ष्मीको स्वयंवर-मण्डपमें धरने ज़ाते हों, इसी तरह महाराजके द्वारा विसर्जन किये हुए वे वीर अपने-अपने डेरोंमें चले गये। दोनों ऋषभपुत्रोंकी प्रसादरूपी समुद्रको तरनेकी इच्छासे दोनों ओरके वीरश्रेष्ठ युद्ध के लिये तैयार