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प्रथम पर्व
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आदिनाथ-चरित्र वैद्य या चिकित्सक रोगीकी चिकित्सा करके उचित औषधि देता है; उसी तरह दण्डित करने लायक लोगोंके उनको अपराधप्रमाण दण्ड देनेका कायदा प्रभुने चलाया। दण्ड या सज़ाके डरसे लोग चोरी ज़ोरी प्रभृति अपराध नहीं करते थे, क्योंकि दण्डनीति सब तरहके अन्यायरूप सर्पको वश करनेमें मन्त्रके समान है। जिस तरह सुशिक्षित लोग प्रभुकी आज्ञाको उल्लङ्घन नहीं करते; उसी तरह कोई किसीके खेत, बाग और घरप्रभृतिकी मर्यादाको उल्लङ्घन नहीं करते थे। वर्षा भी, अपनी गरजनाके बहाने से, प्रभुके न्याय-धर्मकी प्रशंसा करती हो, इस तरह धान्यकी उत्पत्ति के लिये समय पर बरसती थी। धान्यके खेतों, ईखके बगीचों और गायोंके समूहसे व्याप्त देश अपनी समृद्धिसे शोभते थे और प्रभुकी ऋद्धिकी सूचना देते थे। प्रभुने लोगोंको त्याज्य और ग्राह्यके विवेकसे जानकार किया; अर्थात् प्रभुने लोगोंको क्या त्यागने योग्य है और क्या ग्रहण करने योग्य है, इसका ज्ञान दियाइस कारण यहभरतक्षेत्र बहुत करके विदेह-क्षेत्रके जैसा हो गया। इस तरह नाभिनन्दन ऋषभदेव स्वामीने, राज्याभिषेकके बाद, पृथ्वीके पालन करने में तिरेसठ लक्ष पूर्व व्यतीत किये।
वसन्त वर्णन। एक दफा कामदेवका प्यारा वसन्त मास आया। उस समय परिवारके अनुरोधसे प्रभु बाग़में आये। वहाँ मानो देहधारीबसन्त हो, इस तरह प्रभु फूलोंके गहनोंसे सजे हुए फूलोंके बँगलेमें विरा.