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कानपुर दि० जैन परिषद्-पंडालके काव्यमय वातावरणमें काव्यमय भावनाओं एवं असीम अनुरागसे ओतप्रोत 'इन्होंने अपने सुन्दर कवियोंकी कलित कल्पनाओंके संग्रह और सम्पादनके उत्तरदायित्वका भार मुझे ही सौंपा। फलतः अपने प्रयत्नोंकी पुस्तकपिटारीको 'इनकी' सेवामें प्रस्तुत करते हुए संकोचइसलिए नहीं है कि इसमें सब 'इनका' ही है-इनके ही हैं सुन्दर कवि, इनकी ही हैं प्रिय कविताएँ और है 'इनकी ही अपनी
-रमा