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सजनि, आँसू लोगी या हास ?
नील अंचलमें छिप चुप-चाप , वियोगी तारे तकते राह , निराशाका पा अन्तिम ताप , वरस जाती आँसू बन 'चाह' !
कलीकी बुझती इससे प्यास सजनि ! आँसू अच्छे या हाम ?
कनक-करसे फैला उल्लास , झूमती मलयानिलमें झूल , चूमती जब ऊपा सविलासमुस्करा उठते सोये फूल !
धरापर छा जाता मधुमास , सजनि, कितना मादक है हास !
'मिलन' हँस हँस विखराता फूल , 'विदा' रो पोती मोती-माल , मुमनमें दोनोंके हैं शूल , मुझे दोनोंपर आता प्यार !
भेट-हित दो ही निधि हैं पास , सजनि, आँसू लोगी या हास?
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