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నుండassiడుకు దుండగుడుతనమును వందనందుకు పావనం
जैन-रत्नसार
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Nokiatashlokitaantrlela lateratuhl
tattattat kasari.fo sajaokarjath ohotocolaterloskelemkantakamlesian karobarathiwlotarakshah mmadidathok iskilaokesthlalaolestatitisakh khadkalahasabhitakhkhalafakhilestoniadiatalokalbelass GEE
होरी हां हां रे यमुना तट धूम मचाई है री माई, नेम सांवरो खेले होरी ॥ यमु० ॥ दस दसाई ठाडे है घेरे, नीकी बनी है सुजन टोरी । नेम प्रभु को ब्याह मनावत, बत्तीस सहस संग लिये गोरी ॥१॥ भर पिचकारी नेम। मुख पर डारत, शृङ्गी छरत केशर घोरी । अबीर गुलाल को मंडप छायो, भाल रचत चन्दन घोरी ॥ यमु० २॥ होरी वसन्त धमाल सुर गावत, करत सेव यों झकझोरी । या उग्रसेन दुलारी विवाही, यों ही कहे भामा भोरी ॥ यमु० ३ ॥ मुसकाने प्रभु से खेल देखके, जग जंजाल दियो । छोरी । अमृत पद दायक दम्पति, रङ्ग नमें दोउ करजोरी ॥ यमु० ४ ॥
स्तवन होरी भर पिचकारी छोडूं तोरे चरन, तोरे चरन ॥ भर० ॥ अनन्तकाल मोहे भटकत बीते, कुमति कुटिलता भागी हरन ॥ भर० १॥ ज्ञान गुलाल अबीर संयम की, निज आतम ने धारी सरन । भर० २ ॥ शील हजारा सत का जल भर, सुमति केशर से करो न्हवन ॥ भर० ३॥ कु! गुरु कुदेव कुधर्म को त्यागो, शुद्ध समकित का राखो जतन ॥ भर० ४ ॥ संवत् उन्नीसौ छयानवे में, फागुन सुदी तिथि चौदस बनन । भर० ५ ॥ लक्ष्मणपुर सोंधि टोले में हैं गे, पारस प्रभू की हुई लगन ॥ भर० ६॥ शिव नगरी में आप विराजे, सूरज" को रख लो अपनी शरन । भर० ७॥
स्तवन होरी मेरे घट की गगरिया रङ्ग से भरी, शिवपुर को बात पूर्वी कब की
ॐ यह स्तवन ॐ यु० प्र० वृ० भट्टारक श्री पूज्यनी श्रीजिन विजय रंग सरिजी महाराज का बनाया हुआ है।
यह स्तवन रंग विजय खरतर गच्छीय जं. यु० प्र० वृ० भट्टारक श्री पूज्यजी श्री जिन स्न सूरिजी महाराज के शिप्य जेन गुरु पं० प्र० यति सूर्यमल्लजी ने सं० १६६६ फागुन सुदी १४ को बनाया है।
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