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saratahshtatasakickatalasadnastasbhakta dholesalmanlaladaladalalaladasoomladalatkalutatutesaastatestoshotcataststatestasticketstare
न-मनननननननननननननननननननननननननननननननननननननननन तनप्राश्रीप्रधानमनश्रममन्त्राप्रवन्धनप्रनयन्त्रणमा
सूत्र विभाग दधत्या । सदृशैरतिसङ्गतं प्रशस्यं, कथितं सन्तु शिवाय ते जिनेन्द्राः ॥२॥ कषायतापादित जन्तु निर्वृतिं करोति यो जैन मुखाम्बुदोद्गतः । स शुक्रमासोद्भव वृष्टिसन्निभो, दधातु तुष्टिं मयि विस्तरो गिराम् ॥३॥ श्वसितसुरभिगन्धाऽऽलीढ़भृङ्गीकुरङ्ग, मुख शशिनमजस्र बिभ्रती या बिभत्ति । विकचकमल मुच्चैः, सास्त्वचिन्त्यप्रभावा । सकल सुख विधात्री, प्राणभाजां श्रुताङ्गी ॥४॥
वरकनक सूत्र? वरकणय संख विहुम, मरगय घणसंणिहं विगयमोहं । सत्तरिसयं जिणाणं, सव्वामर पूइयं वंदे ॥१॥
अड्डाइज्जेसु सूत्र अड्डाइज्जेसु दीवसमुद्देसु, पनरससु कम्मभूमीसु, जावंत केवि साहू, रयहरण गुच्छ पडिग्गहधारा, पंचमहव्वयधारा अट्ठारस सहस्स सीलंगधारा अक्खयायारचरित्ता. ते सव्वे सिरसा मणसा वयसा मत्थएण वंदामि ॥१॥
Pedrakardedirerstitledeokrebelrekadasleeluptocockerlreadialockelidualtdidadroochondledoskailbolndidalalsolusheli indyaleakilokatholhistosladdesahthitthitioth aslelorkalnilotrishalafaatalabtaknilsintoilptetaketalalalalutstartoosinohke
१-इस सूत्र में १७० तीर्थङ्कर भगवानों को वन्दन किया गया है।
२-१० यतिधर्म को ५ स्थावर ४ त्रस १ अजीवसे जोड़नेपर १०० और इनको ५ इन्द्रियोंसे जोड़ने पर ५०० इनको आहार, भय, मैथुन, परिग्रह इन चार संज्ञाओं के साथ जोड़ने से २००० फिर इनको मन, वचन, काय से जोड़ने पर ६००० भेद हुए फिर इनको न करूं न कराऊ न अनुमोदू से जोड़ने पर १८००० भेद होते है। इन अठारह हजार भेद से ब्रह्मचर्य पालन करनेवाले को ही सच्चो मुनि कहा गया है।
कुछ समय से इस सूत्र के न बोलने की परिपाटी विधिप्रपा ग्रन्थ' के आधार से उठाने का प्रयत्न किया गया है। किन्तु विधिप्रपा प्रन्थ में इस सूत्र के अलावा अन्य भी कई एक सूत्रों के न वोलने का विधान है। लेकिन वे सव वोले जाते हैं। मेरी सम्मतिसे सारे प्रतिक्रमण में
गुरु, यति, मुनिराजों को श्रावक श्राविकायें वन्दनावश्यक में उन्हीं को वन्दन नमन * करते है। इसमें उत्कट क्रिया कारक के धनियों को वन्दन नमन करने का विधान है, इसलिये में उठा देनेका प्रयत्न किया गया हो तो कोई आश्चर्य नहीं वर्तमान समय में भी खरतरगच्छ तथा !
तपगच्छ में इस सूत्रको बोलने की परिपाटी मौजूद है अतः यहां पर बोलनेके लिये दे दिया है।