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मनत्रजननशास्त्र मन्नान प्राप्त प्रधान मनमानस्य स्वयम
३४० लावे जिन तनु रागे। धार कपूर भाव घन बरषत, सामेरी मति जागे ॥ पू० ॥३८॥
नवम ध्वज पूजा
___॥ दोहा ॥ मोहन ध्वज घर मस्तके, सूहव गीत समूल ॥ दीजे तीन प्रदक्षिणा, नवमी पूज अमूल ॥१॥
॥ वस्तु छंद ॥ सहस जोयण सहस जोयण हेममय दंड, युतपताक पंचे वरण । घुम घुमंत घूघरीय बाजे, मृदु समीर लहके गयण ॥ जाण कुमति दल सयल भाजे, सुरपति जिम विरचे ध्वजा ए, नवमी पूज सुरंग ॥ तिण परे श्रावक ध्वज वहन, आपे दान अभंग ॥२॥
॥राग नट्टनारायण ॥ - जिनराजको ध्वज मोहना, ध्वज मोहना रे ध्वज मोहना ॥ जि० ॥ मोहन सुगुरु अधिवासियो ए करि पंच सबद त्रिप्रदक्षिणा । सधव वधू शिरसोहणा ॥ जि. ३ ॥ भांति वसन पंच वरण बन्यो री, विध करि ध्वज को रोहणां । साधु भणत नवमी पूजा नव, पाप नियाणां खोहणां ॥ शिव मंदिरकू अधिरोहणा, जन मोह्यो नट्टनारायणा । जि० ४ ॥
दशम आभरण पूजा
॥ राग केदारामां दोहा ॥ दशमी पूजा आभरण की, रचना यथा अनेक । सुरपति प्रभु.अंगे रचे, तिम श्रावक सुविवेक ॥१॥ शिर सोहे जिनवर तणे, रयण मुकुट झलकंत । तिलक भाल अंगद भुजा, श्रवण कुंडल अतिकंत ॥२॥
॥राग गुंडमल्हार ॥ पांच पिरोजा नीलू लसणीया, मोती माणक लाल लसणीया, हीरा सोहे रे, मन मोहे रे धुनी चुनीपुल कर केतना, जातिरूप सुभग अंक ___ * जिन गुरुजी को वासक्षेप करने के लिये बुलाये उनको भेटना अवश्य देना चाहिये।
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नया प्रयत्न कन्नमवशरमनपाला प्राधान्यान्न पत्रपत्रित