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________________ प्र 62 ** ** * ***** Sets पूजा - विभाग स्नात्र* पूजा ॥ दोहा ॥ चउतीसे अतिसय जुओ, वचनातिसय संयुक्त । देखि भवि, सिंहासण सो परमेसर संपत्त ॥१॥ ॥ ढाल ॥ सिंहासन बैठा जग भाण, देखि भविजन गुणमणि खाण । जे दीठे तुझ निम्मल झाण, लहिये परम महोदय ठाण कुसुमाञ्जलि मिलो आदि जिणंदा तोरा चरणकमल चौबीस, पूजोरे चौबीस, सौभागी चौबीस, वैरागी चौबीस, जिणंदा । ॐ ह्रीं परम परमात्मने अनन्तानन्त ज्ञानशक्तये जन्मजरा मृत्यु निवारणाय श्रीमद् आदि जिनेन्द्राय कुसुमाञ्जलि यजामहे स्वाहा ||२|| चरणों पर टीकी दीजिये भवभवनोला हो लीजिये । कुसुमाञ्जली चढ़ावे । चरणों पर केशर चढ़ावे । ॥ गाथा ॥ जो णियगुण पज्जवरम्यो, तसु अणुभव एगन्त । सुहपुग्गल आरोपतां, जोति सुरंग निरन्त ॥ ३ ॥ ॥ ढाल || जो णि आतमगुण आनंदी, पुग्गल संगे जेह अफंदी | जे परमेसर निजपद लीन, पूजो प्रणमो भव्य अदीन । कुसुमाञ्जलि मिलो शान्ति जिणन्दा तोरा चरण कमल चौबीस, पूजोरे चौबीस, सौभागी चौबीस, बैरागी चौवीस, जिणंदा ॐ ह्रीं परम परमात्मने अनन्तानन्त ज्ञानशक्तये जन्म जरा मृत्यु निवारणाय श्रीमद्शान्ति जिनेन्द्राय कुसुमाञ्जलिं यजामहे स्वाहा ||४|| घुटनों पर टीकी दीजिये भव भवनोलाहो लीजिये । कुसुमाखली चढ़ावे घुटनों पर टीकी देवे । - प्रथम हाथ की हथेली मे पुष्प या कुसुमाञ्चली (पीले चावल) लेवे । Toto to trocento Treboto to to torta to t to to to to to to to to to i dorts to to test to Yocto to to to torta Yn to Yo Yo ito to to to Yacts to I do to start to tostante tortil 1
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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