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whitectiడుగడునుడుచుకుంటుండగుండుగుడుదండుడు विधि-विभाग
२७३ romanama
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సమావడము
వడివడుతనమునందుకు
नवम् वलय इसके बाद नवग्रहों के नामों की स्थापना कर पूजा करे और पान अष्टद्रव्य सहित नगदी चढ़ावे ।
१ ॐ सूर्याय नमः स्वाहा । २ ॐ चन्द्राय नमः स्वाहा । ३ ॐ भौमाय नमः स्वाहा । ४ ॐ बुधाय नमः स्वाहा । ५ ॐ बृहस्पतये नमः स्वाहा । ६ ॐ शुक्राय नमः स्वाहा । ७ ॐ शनैश्वराय नमः स्वाहा । ८ ॐ राहवे नमः स्वाहा । ९ ॐ केतवे नमः स्वाहा । इसके बाद बलिवाकुलादि सब विधि नवपद मण्डल के समान ही चढ़ावे ।
विंशस्थानक की सामग्री ___ पञ्चपरमेष्ठी, दशदिग्पाल, नवग्रहों के पट्टे, लाल कपड़ा, सफेद कपड़ा चावल, बतासे, बादाम, पिस्ता, लौंग, मिश्री, सुपारी, छुहारे, चिरौंजी, पान, इत्र, तेल, फल, फूल, पांच तरह के मिठाई पांच तरहकी, रोली, मौली, धूप, दीपक, घी, खीर, बड़े, पापड़ी, लापसी, बरक, नारियल, केशर, मैनफल, मरोडफली, पैसे, नगदी, अंगलूहण, गोले, ध्वजा, अखरोट, सीताफल, पेठे, सिन्दुर, सतनजा, गुलाबजल ।
. ऋषि मण्डल पूजा विधि
शुभ दिन, शुभ घड़ी, शुभ नक्षत्र, शुभ मुहूर्त में पूजा करानेवाले का चन्द्रबल देख कर ऋषिमण्डल जो चौबीसीजी का मण्डल कहा जाता है नव पदजीके मण्डलके समान ही बनवावे सब स्नात्रियोंको उसकी विधि जैसे अङ्ग शुद्धि, वस्त्र शुद्धि, शिखा बन्धन, मैनफल, मरोड फली, मौली, मण्डलजी के तथा अपने हाथों में बांधना चाहिये और केशर, चन्दन, कुंकुम (रोली ) मण्डलजी की मौली में लगा दे। देववन्दन दशदिग्पाल तथा नवग्रहों की पूजन भेट आदि की सब क्रियायें नव पद मण्डल पूजा के समान ही है।
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