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________________ २६८ 1nola in boly in an In Ayilarly to take fotoko yache taste to the termath trika taster जैन - रत्नसार instastestos द्वादश पद पूजा सग्गापवग्गग्गसुहृप्पयरस, सुणिम्मलाणंत गुणालयस्स । सव्वव्वया भूषण भूषणस्स, णमोहि शीलस्स अदुसणस्स । ॐ ह्रीं श्रीं सम्यग् ब्रह्मचर्या नमः स्वाहा ||१२|| गोला, ध्वजा चढ़ावे । त्रयोदश पद पूजा विसुद्धसद्धाण विभूषणस्स, सुलद्धि संपत्ति सुपोषणस्स । णमो सदाणं त गुणपदस्स, णमो णमो सुद्धक्रियापदस्स । ॐ ह्रीं श्रीं सम्यग् क्रियायै नमः स्वाहा ||१३|| गोला, ध्वजा चढ़ावे । चतुर्दश पद पूजा लडीसरोजा वलितावणरस, सुरूव संलग्ग सुपावणरस । अमंगलाणो कुह दुदवस्स, णमो णमो णिम्मल सत्तवस्स । ॐ ह्रीं श्रीं सम्यग् तपसे नमः स्वाहा ||१४|| गोला, ध्वजा चढ़ावे । पञ्चदश पढ़ पूजा अनंत विष्णाण विभायरस्स, दुवालसंगी कमलाकरस्स । सुलडवासा जयगोयमस्स, णमो गणाधीसर गोयमस्स । ॐ ह्रीं श्रीं गौतमाय नमः स्वाहा ॥१५॥ गोला, ध्वजा छढ़ावे । षोड़श पद पूजा सव्वाति सवासवाणं, सुरा सुरा घोसर वंदियाणं । रवींदुर्बियामल सगुणा, दयाधणाणंहि णमोजिणाणं । ॐ ह्रीं श्रीं जिनेभ्यो नमः स्वाहा ॥१६॥ गोला, ध्वजा चढ़ावे । सप्तदश पद पूजा सव्वंदिया पार विकार दारी, अकारणा सेसजणोवगारी । महाभवातं करणा पहारी, जयौ सदा सुद्ध चरितधारी । ॐ ह्रीं श्रीं चारित्रधारीभ्यो नमः स्वाहा ॥१७॥ गोला, ध्वजा चढ़ावे । अष्टादश पद पूजा सुद्धक्रिया मंडलमंडणस्स, संदेह संदोह विखंडणस्स । मुत्ति उपादान
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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