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विवि-विभाग
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त्रिंशद्गुणैर्युतान् । ॐ ह्रीं श्रीं सूरीभ्योः नमः स्वाहा । कह जल चन्दनादि चढ़ा आचार्य पद पर पान चढ़ावे ।
उपाध्याय पद पूजन मन्त्र
द्वादशाङ्ग श्रुताधारान् शास्त्राभ्यनतत्परान् निवेशयाम्युपाध्यायान् पवित्र पश्चिमे दले । ॐ ह्रीं श्रीं उपाध्यायेभ्यो नमः स्वाहा । इस मन्त्र से उपाध्याय पद पर पान जल चन्दनादि चढ़ावे |
साधु पद पूजन मन्त्र
व्याख्यादि कर्म कुर्वाणान् शुभध्यानैकमानानउद्गपुत्रगतान् वारान् साध्याशीससुव्रतान् ॥१॥ ॐ ह्रीं श्रीं साधुभ्यो नमः स्वाहा। पढ़ जल चन्दनादि चढ़ा साधु पदपर पान चढ़ावे । दर्शन पढ़ पूजन मन्त्र
जिनेन्द्रोक्त मत श्रद्धा लक्षणे दर्शने यजे । मिध्यात्व मथनं शुद्धं नस्तमीशान सद्दले ॐ ह्रीं श्रीं दर्शनपदेभ्यो नमः स्वाहा ||६|| इस मन्त्र से जल चन्दनादि चढ़ा दर्शन पद पर पान चढ़ावे |
ज्ञान पद पूजन मन्त्र
अशेष द्रव्य पर्याय रूपमेवाव भासकं ज्ञानमाग्नेयपत्रस्थं पूजयामि हिता वहम् । ॐ ह्रीं श्रीं ज्ञानपदेभ्यो नमः स्वाहा ॥७॥ यह मन्त्र पढ़ जल, चन्दन, पुष्प, धूप, दीप चढ़ा ज्ञान पढ़ पर पान चढ़ावे |
चारित्र पद पूजन मन्त्र
सामायिकादिभिर्भेदैश्चारित्रं चारु पञ्चधा संस्थापयामि पूजार्थ पत्रह नैऋते क्रमात् ॐ ह्रीं श्रीं चारित्रपदेभ्यो नमः स्वाहा ||८|| यह मन्त्र पढ़ जल चन्दन पुप्प धूप दीप चढ़ा चारित्र पद पर पान चढ़ाने, चढ़ाने के बाद लाल वस्त्र से पट्टे को ढांक दे और मोली से साढ़े तीन आंटे देकर बांध दें उसके बाद फल फूल अक्षत सत्र मिठाई रख कर चांदी की भेंट चढ़ा ।