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विधि - विभाग
साधु पद स्तवन
मालन मालन मत कहो (ए चाल ) निकषाया जग जन कहे । धारे चउगति वसन सेरोसहो ( मुनिन्दजी ) राग हीन भय तू करे । (साहिबा ) शिव रमणी से हेतु हो । ( मुनिन्दजी ) ॥ १ ॥ सर्व प्रमाद तजी रहे ( साहिबा ) छडे पूरब कोड़ हो ( मुनिन्दजी ) शत सो गम आगम करे ( साहिबा ) पामें कर्म निकन्द हो ( मुनिन्दजी ) || २ || प्रचला निद्रा में रही ( साहिबा ) | बारम गुणनो वास हो ( मुनिन्दजी ) ॥ स्थिति रस घात प्रमुख करे । ( साहिबा ) जो गुण संख्यातीत हो ( मुनिन्दजी )||३|| तोपिण तिण जगमें लही । ( साहिबा ) त्रिक घन गुण नीख्यात हो ( मुनिन्दजी ) ॥४॥ रयण त्र्यसे शिव पथें ( साहिबा ) साधन परवर जीव हो । मुनिन्दजी ) साधु हवइ तसु धर्ममें ( साहिबा ) कुशल भवतु जीव हो ( मुनिन्दजी ) ॥५॥
श्री साधु पद थुई
सुमति गुपति कर संयम पाले, दोष बयालीस टाले जी ।
षट्काया गोकुल रखवाले, नव विध ब्रह्म व्रत पाले जी ॥ पञ्च महाव्रत सूधा पाले, धर्म शुल्क उजवाले जी ।
क्षपक श्रेणी करि कर्म खपावे, दमपद गुण उपजावे जी ॥१॥ सम्यक्त्व दर्शन पद की ६७ जयति
१ परमार्थ संस्तव रूप श्री सद्दर्शनाय नमः । २ परमार्थ ज्ञातृ सेवन रूप सद्दर्शनाय नमः | ३ व्यापन्न दर्शन वर्जन रूप सद्दर्शनाय नमः | ४ कुदर्शन वर्जन रूप सद्दर्शनाय नमः | ५ शुश्रूषा रूप सद्दर्शनाय नमः । ६ धर्म राग रूप सद्दर्शनाय नमः । ७ वैयावृत्ति रूप सद्दर्शनाय नमः | अर्ह विनय रूप सद्दर्शनाय नमः । ९ सिद्ध विनय रूप सद्दर्शनाय नमः | १० चैत्य विनय रूप सद्दर्शनाय नमः | ११ श्रुत विनय रूप सद्दर्शनाय नमः । १२ धर्म विनय रूप सद्दर्शनाय नमः । १३ साधुवर्ग
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