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ఆ తరపున నుండుటకు తన వంతు వరకు చదువు చదవడం వలన పాడిన పావు గంట తర తరుగురు వండిన గుండు కవచం దుకు వంచనకు గురవుతుందట డివుండినది మనకు తలనుండి १७२
जैन-रत्नसार
atkareindesistakestratatatatattitretclotholestatestakootacottattotaarateestorat.kkkakkabaaptashatasterstitishtakaalikattacksattootobilestolatikalaanasaladney
पीछे ६७ लोगस्स का काउसग्ग करना। शेष विधि पूर्ववत जानना।
सप्तम दिवस विधि "ॐ ह्रीं णमो णाणस्स' इस पद की २० माला फेरे। ज्ञान पद का उज्वल वर्ण है अतः चावल का आयंबिल करे। ज्ञान पद के गुणों को खमासमण पूर्वक ५१ नमस्कार करे।
इस प्रकार ५१ नमस्कार करके । पीछे अणत्थ० पूर्वक ५१ लोगस्सका काउसग्ग पार प्रगट लोगस्स. कहे । शेष विधि पूर्वोक्त है ।
अष्टम दिवस विधि ॐ ह्रीं णमो चारित्तस्स' इस पद की २० माला फेरे । चारित्र पद का उज्वल वर्ण है अतएव चावल का आयंबिल करे। चारित्र पद के गुणों को खमासमण पूर्वक ७० नमस्कार करे।
इस प्रकार ७० नमस्कार करके । अणत्थ. सहित ७० लोगस्स का काउसग्ग पार प्रगट लोगरस० कहे । शेष विधि पूर्ववत् है ।
नवम दिवस विधि ___ॐ ह्रीं णमो तवस्स' इस पद की २० माला फेरे । चावल का आयंबिल करे । तप पद के गुणों को खमासमण पूर्वक ५० नमस्कार करे । प्रत्येक गुण के पूर्व में खमासमण देवे ।
इस विधि से ५० नमस्कार करके अणत्थ० पूर्वक पचास लोगरस का काउसग्ग पार प्रगट लोगस्स. कहे । शेष विधि पूर्वोक्त समझना । अन्त में नवमें दिन अधिक भक्तिभाव पूर्वक विधि अनुसार नवपद मण्डल पूजा करावे ( नवपद मण्डल पूजा विधि आगे दी गई है।)
१० दिन तप का उद्यापन करे । मन्दिर के खाते में और ज्ञान के के खाते में तथा गुरु को यथाशक्ति दान करे । साधर्मीवत्सल करे ।
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