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विधि-विभाग
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सामायिक पारूं ? यथाशक्ति' इत्यादि सामायिक पारने की विधि से सामायिक पारे ।
अथ पक्खी प्रतिक्रमण की विधि प्रथम वंदित्त सूत्र तक तो देवसिक प्रतिक्रमण की तरह विधि करनी चाहिये । चैत्यवन्दन में सकलाऽर्हत और थुइयां स्नातस्या की
कहना पीछे 'इच्छामि देवसिअ आलोइय पडिक्कंता इच्छाकारेण संदिसह । भगवन् पक्खी लेवा मुंहपत्ति पडिलेहूं ? इच्छं, कह मुंहपत्ति पडिलेह कर
दो वन्दना देवे । बाद इच्छाकारेण संदिसह भगवन् अब्भुडिओहं संबुद्धा खामणेणं अभितरं पक्खिरं खामेउं ? इच्छं, खामेमि पक्खियं, एग पक्खस्स पणरसहं दिवसाणं पणरसण्हं राईणं जं किंचि०३ 'अपत्तिों कहे। फिर इच्छाकारेण पक्खिअं आलोउं ? इच्छं, आलोएमि जो मे पक्खिओ
अइयारो कओ० कह 'इच्छाकारण. पक्खी अतिचार आलोउं ? इच्छं । कहकर वृहद् अतिचार' कहे। पीछे 'सव्वस्सवि५ पक्खिय दुञ्चितिय
दुब्भासिय दुच्चिट्ठिय इच्छाकारेण संदिसह भगवन् , इच्छं तरस मिच्छामि दुक्कडं, इच्छकारि भगवन् पसायकरी पक्खिय तप प्रसाद करो जी' कहे। फिर 'पक्खिय के बदले एक उपवास, दो आयंबिल, तीन णिव्वि, चार एकासणे, आठ बिआसणे और दो हज़ार सज्झाय कर पइह पूरना जी' कहे । पीछे दो वन्दना देवे । पश्चात् 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् पत्तेय खामणेणं अब्भुडिओमि अभितर पक्खिों खामेउं ? इच्छं, खामेमि पक्खियं एग पक्खस्स पणरसण्हं दिवसाणं पणरसण्हं राईणं जं किंचि अपत्ति कहकर दो वन्दना देवे । तदनन्तर 'पक्खिअं आलोइयं पडि
कंता इच्छाकारेण संदिसह भगवन् पक्खिअं पडिक्कम ? 'इच्छं, सम्म पडिक्कमामि' कहकर करेमि भंते० इच्छामि पडिक्क्रमिउं जो मे पक्खिओ०
* इस पाठ में देवसिहं, देवसिओ, देवसियाए की जगह पक्खी, चउमासी, सम्वत्सरी प्रतिक्रमण में पक्खियं, पक्खियाओ, पक्खियाए । चउमासियं चउमासिओ, चउमासियाए। सम्वत्सरियं, सम्बत्सरियो, सम्वत्सरियाए कहना चाहिये ।
१-पृष्ठ ११ । २-पृष्ठ ६०। ३-पृष्ठ २। ४-पृष्ट २६ । ५-पृष्ठ ७ । ६-पृष्ट ।
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