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जैन - रत्नसार
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हण के समय पूर्वोक्त विधिसे पडिलेहणा कर पौपधशाला का कचरा ( कूड़ा ) निकाल कर इरियावहियं • कहें । दो खमासमण देकर सज्झाय संदिसाहू ? सज्झाय करूं ? आदेश मांगकर, उपदेशमाला' की सज्झाय पढ़ कर पोसह
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पारे ।
पोसह पारने की विधि
खमासमण देकर इरियावहियं ० १ पढ़े । एक खमासमण दे 'इच्छाका - रेण संदिसह भगवन् पोसह पारूं ? यथाशक्ति ।' पुनः खमासमण दे 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् पोसह पारेमि ? तहन्ति ।' कह खमासमण दे दाहिना हाथ नीचे रख तीन णमोक्कार गिन, खमासमण देकर मुंहपत्ति का पsिहण करे | पीछे खमासमण दे 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् सामायिक पारूं ? यथाशक्ति ।' पुनः खमासमण दे 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! पोसह पारेमि ।' 'तहत्ति ।' खमासमण देकर आधा अंग नमाकर तीन णमोक्कार गिनकर भयवंदसण्ण०३ का पाठ बोले । पीछे तीन णमोक्कार गिनकर उठ जाय ।
दिन सम्बन्धी चउपहरी पौषध विधि
आठ पहर पौषध लेने की विधि के समान ही चार पहर पौषध लेने की विधि है । पोसह 'दंडक उच्चरते समय 'चउपहरी पौषध' निम्नलिखित पच्चक्खाण करे |
चउपहरी पौषध पच्चक्खाण
करेमिभंते पोसहं आहार पोसहं देसओ सव्वओ सरीर सक्कार पोसहं सव्वओ बंभचेर पोसहं सव्वओ अव्यावार पोसहं सव्वओ चउविहं पोसहे जावदिव संपज्जुवासामि दुविहं तिविहेणं मणेणं वायाए कारणं णकरेमि कारवेमि तस्समंते पडिक्कमामि णिदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि ।
बाद पूर्ववत् सामायिक लेवे । यदि प्रतिक्रमण गुरु के साथ न किया हो तो गुरु के पास आकर पौपध और सामायिक पूर्ववत
१- पृष्ठ ७५ १२ पृष्ठ ३ । ३-पृष्ठ १८ ।
प्रश्नपत्र