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विधि-विभाग । कहने पर फिर एक खमासमण दे 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् वंदित्तु
सूत्र कहूं ? गुरु के 'कहेह' कहनेपर तीन णमोक्कार तीन करेमिभंते, इच्छामिठामि काउसग्गं०१ वंदित्तु सूत्र बोले । साधु नहीं हो तो श्रावक एक खमासमण देकर 'भगवन् ! सूत्र भणू ? कह कर इच्छं कहे तथा तीन णमोक्कार गिन कर 'वंदित्तुर' ध्यान में सूत्र बोले या सुने । वाकी के सब श्रावक 'करेमि भंते०, इच्छामि ठामि०३, तस्सउत्तरी०, अणत्थ. कहकर काउसग्गमें खड़े हुए या बैठे हुए सुनें । वंदित्तु सूत्र ४३वीं गाथा तक पढ़े, 'णमो अरिहंताणं' कह काउसग्ग पार खड़े होकर तीन णमोक्कार गिन कर बैठ जाए। बाद तीन णमोक्कार,तीन करेमिभंते. पढ़ कर 'इच्छामि ठामि पडिक्कमिउं जो मे पक्खियो.' कह वंदित्तु सूत्र बोले । तदनन्तर एक खमासमण देकर 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! मूल गुण, उत्तर गुण. विशुद्धि निमित्त काउसग करूं ? गुरु के 'करह कहने पर 'इच्छ' कह 'करेमि भंते०, इच्छामि ठामि०, तस्सउत्तरी०, अणत्य०' कह बारह लोगस्स* का काउसग्ग करे। पार कर प्रगट लोगस्स. कहे । तत्पश्चात् वैठ कर मुंहपत्ति का पडिलेहण कर दो वन्दना दे और 'इच्छाकारेणसंदिसहभगवन् !पक्खी समाप्तिखामणेणं अब्भुट्टिओमि अभितर पक्खियं खामेउं ? कहे । गुरु के 'खामेह' कहने पर 'इच्छामि खामेमि पक्खियं जं किंचि०५' कहे । पीछे 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् पक्खियं खामणा खामं ? कहे । गुरु के 'पुण्णवन्तो.' कहने पर तीन बार एक एक खमासमण दे तीन तीन णमोक्कार कह 'पक्खियं समाप्ति खामणा खामेह' कहे । पीछे गुरुके णित्यारगा पारगा होत्था कहने पर 'इच्छं कह इच्छामो अणुसदि कहे। फिर गुरु कहे 'पुण्यवन्तो० ! पक्खियके निमित्त एक उपवास
दो आयंबिल, तीन णिन्चि, चार एकासणा,दो हजार सज्झाय कर पक्खीकी : पंट पूरना तथा पक्वियं के स्थान में 'देवसिय' कहना ऐसा कहने पर 'तहत्ति कह । पीछे दो वन्दना देकर सदेव की भांति देवसिक प्रतिक्रमण
नाकारा .:-हट :-पृष्ट १९१३-पृष्ठ ७।४-पृष्ठ ७।५-पृष्ठ २।६-पृष्ठ २२ । ७-पृष्ठ है।
Babakal kavinkiestonoliantasidhaklaletawlarkelaudastidiofilediskedinliadai-kakakaalistsoelholialistialistasistentialpremsanlioletekieleakalakarliardialistbolteachelkandelinesiratastrolhirolorlechtentirliahtinterlosleelallantatata latakarlx