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विधि - विभाग
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तदुपरान्त खमासमण देकर 'इच्छाकारेण • सज्झाय संदिसाहूँ ? 'इच्छ' कहे । फिर खमासमण देकर 'इच्छाकारेण • सज्झाय करूं' 'इच्छं' कह खड़े हो खमासमण दे आठ णमोक्कार गिने | बाद खमासमण दे 'इच्छाकारेण० बेसणं संदिसाहूं' 'इच्छं' कहे। फिर खमासमण देकर 'इच्छाकारेण० वेसणं ठाऊं, 'इच्छं' यह सब क्रमशः प्रभात की सामायिक की तरह करे ।
अगर वस्त्र की आवश्यकता पड़े तो उसके लिये एक खमासमण देकर 'इच्छाकारेण० पांगरणं संदिसाहूं ? 'इच्छं' इच्छाकारेण० पांगरं पडिग्गहूँ” 'इच्छे' कह कर वस्त्र लेवे ।
सामायिक पारने की विधि क्रमशः एक है । राई प्रतिक्रमण की विधि
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सर्वप्रथम पूर्व विधिवत् सामायिक ग्रहण करे । तदनन्तर एक खमासमण देकर 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् चैत्यवन्दन करूं ? कहे । जब गुरु 'करेह' कहे तब 'इच्छं' कहकर 'जयउ सामिय जयउ सामिय" का जयवीराय॰ की दो गाथा तकका सम्पूर्ण चैत्यवन्दन करे | बाद एक खमासमण देकर 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् कुसुमिण दुसुमिण राई पायच्छित विसोहणत्थं काउसग्ग करूं ? कहे । तब गुरु के 'करेह' कहने पर 'इच्छं' कहकर 'कुसुमिण दुसुमिण राई पायच्छित्त विसोहणत्थं करेमि काउसग्गं' कहकर 'अणत्य० ' पढ़ कर 'चार लोगस्स ० ' २ का या १६ णमोक्कार० का काउसग्ग करके ' णमो अरिहंताणं' कहे | पारकर प्रगट लोगस्स ० कहे । ( रात्रि में काम भोगादि बुरे स्वप्न
सामायिक की विधिओं में आये हुए भिन्न भिन्न शब्दों के अर्थ
सज्झाय करूं - मैं स्वाध्याय
सज्झाय संदिसाहू - मुझे स्वाध्याय करनेका आदेश दें। करता हूं । वेसणूं संदिसाहूं—मुझे आसन पर बैठनेकी आज्ञा दें। वेसणं ठाऊं - मैं आसन ग्रहण करता हूँ । सामायिक पारू मैं - सामायिक पारता हूं । पुणोवि कायव्वो - फिर भी करो । यथाशक्ति - जैसी मेरी शक्ति होगी। सामाइयं पारेमि- मैंने सामायिक पार लिया। आयारो णमोत्तन्वो - आचार्यों को नमस्कार करो । तहत्ति - आप का कथन सत्य है ।
१- पृष्ठ ४ में है । २- पृष्ठ ४ में है ।