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________________ २ : १०७ - १०९ ] आदम खां की मृत्यु : अस्मिन्नवसरे श्रीवरकृतां मद्रमण्डले सुभटक्षयः । माणिक्यदेवस्य तुरुष्कैः सह संयुगे ॥ १०७ ॥ १०७. इसी अवसर पर, मद्र मण्डल में तुरुष्कों के साथ युद्ध करते हुये, माणिक्यदेव के वीरों का विनाश हुआ । मातुलेन समं यातो योद्धुं तत्रैव आदमखानः स प्रापच्छरभिन्नमुखः प्यूचुः स निजैरेव केsपि हतस्तत्र भयाश्रितैः । व्रणशलाकाग्रा कृष्टिमर्मविदारणात् ।। १०९ ।। संगरे । क्षयम् ।। १०८ ।। १०८. युद्ध हेतु इस संग्राम में मातुल' के साथ आदम खान गया था और वह मुख पर हुये, बाण प्रहार के कारण मर गया । I २८३ ( २ ) माणिक्यदेव : फिरिश्ता जम्मू के राजा माणिक्यदेव का उल्लेख नही करता । केवल लिखता है— 'आदम खाँ हिन्दुस्तान से जम्मू लौटने पर राजा को काश्मीर का राज्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। राजा ने उसकी सहायता करने का वचन दिया किन्तु उसी समय मुगलों के एक दल ने जम्मू पर आक्रमण कर दिया ( ४७६ ) ।' फिरिश्ता राजा का नाम 'मुल्कदेव' या 'मालिकदेव' लिखता है । कर्नल ब्रिग्स, रोजर्स तथा कैम्ब्रिज हिस्ट्री आफ suser में नाम नहीं दिया गया है । पाद-टिप्पणी : १०८. ( १ ) मातुल: माणिक्यदेव । (२) आदम खाँ : तवक्काते अकबरी में उल्लेख है— आदम खाँ जम्मू के राजा माणिक्यदेव के साथ मुगलों से जो उस क्षेत्र में आये हुए थे, युद्ध करने १०९. कुछ लोग कहते हैं कि वह अपने भयग्रस्त आश्रितों द्वारा मार डाला गया और लोग कहते हैं कि शलाका को खींचने से मर्मस्थल विदीर्ण हो जाने के कारण मर गया । कुछ पाद-टिप्पणी : के लिए पहुँचा । उसके मुख पर एक बाण लगा १०७. ( १ ) तुरुष्क : यहाँ मुगलों से फारसी और उसकी मृत्यु हो गयी ( ४४७ = ६७४ ) । इतिहासकारों का तात्पर्य है । ( ३ ) बाण : पीर हसन लिखता है - यहाँ पर एक तीर उसके मुँह पर लगा और मर गया ( पृ० १८८ ) । म्युनिख पाण्डुलिपि मे उल्लेख है - हैदरशाह के पास समाचार पहुॅचा कि आदम खाँ अपने मामा जम्मू के राजा माणिक्यदेव के साथ तुर्कों के विरुद्ध लड़ता हुआ मार डाला गया ( म्युनिख पाण्डु० : ७८ ए० ) । फिरिश्ता लिखता है-आदम खाँ एक बाण लगने के द्वारा मर गया जो कि उसके मुख में घुस - कर खोपड़ी में धँस गया था ( ४७६ ) । पाद-टिप्पणी : १०९. ( १ ) शलाका: श्रीदत्त ने शलाका का अर्थ बर्छा ( लान्स ) लगाया है। शलाका का अर्थ - सांग तथा नेजा भी होता है ।
SR No.010019
Book TitleJain Raj Tarangini Part 1
Original Sutra AuthorShreevar
AuthorRaghunathsinh
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size35 MB
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