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________________ श्रीवरकृता १९३ है इराक मे पशुपालन कृषि के पश्चात सबसे बड़ा उद्यम है। गायक लगभग एक लाख भैस - भैसा गाय-बैल पचास हजार, भेड़ ५६ लाख, बकरी लगभग २० लाख, घोड़ा लगभग १ लाख ९४ हजार, गधा लगभग साढे पाँच लाख, खच्चर एक लाख है । जनसंख्या सन् १९६० ई० की गणना के अनुसार ६८,०३, १५३ है। शिया मुसलमानों की संख्या अनुपाततः अधिक है । साधारण जनता का मुख्य भोजन रोटी और प्याज है । ग्रामीणों के घर नरकुल तथा मिट्टी के बनते हैं । रोटी में छुहारा का आटा मिला लेते हैं । यहाँ के प्रमुख नगर बगदाद, वसरा, मोसुल, दिवानिया, करबला खानखिन, सयारा, किरकुल, अदबिल, क्येयारात तथा टेलको है । १ : ७ : २९ ] को घरों को ठण्डा रखते है। घरों में तहखाने बनाते है । गरमी मे वही विश्राम करते है । पुराने नगरो की सड़कें काशी की गलियों के समान सकरी है । प्रातःकाल ठण्ड पड़ती है । ओढना ओढ़ने की आवश्यकता प्रतीत होती है । इराक चार भागों में प्राकृतिक दृष्टि से विभा जित किया जा सकता है— उत्तरी-पूर्वी पर्वतीय प्रदेश । ऊपरी इराक, निचला इराक तथा मरुस्थल । पर्वतीय प्रदेश कुर्दिस्तान कहा जाता है। उत्तरी इराक में दजला-फुरात नदियों की उत्तरी द्रोणी है । सिजार की पहाडियाँ है । दक्षिणी इराक दजला, फुरात नदियों की दक्षिणी द्रोणी है । वह फारस की खाड़ी से उत्तर में रमादी स्थान तक फैला है । फरात नदी के पश्चिम मे मरुस्थल है । 1 इराक में तेल का खनिज प्रचुर मात्रा मे है । इसके अतिरिक्त कृषिप्रधान देश है ७० प्रतिशत जनता कृषि करती है । कृषि योग्य भूमि के केवल छठे भाग पर कृषि होती है । दो फसलें होती है । जाड़े की फसल में गेहूँ तथा गर्मी की फसल मे धान, मक्का, तिल आदि की उपज होती है। जो यहाँ खूब होता है । प्रकृति इस उपज के अनुकूल है । खजूर की फसल से काफी विदेशी मुद्रा मिलती है । भारतीय गुजराती लोगों ने यहाँ भी खजूर का व्यापार आरम्भ किया तथा खजूर के खूब बाग लगवाये है । खजूर उत्पादन में ईराक का विश्व मे प्रथम स्थान है। यहाँ विश्व की तीन चौथाई उपज है। छुहारे भी उत्पन्न होते है । उनके बगीचों के चारों ओर कच्ची दिवालों की चहारदिवारी बनायी जाती है। विश्व में ८० प्रतिशत छुहारा का व्यापार इराक से होता है। छुहारा बगदाद तथा बसरा से विदेश भेजा जाता है । खजूर की हरी कली साक बनाने के काम में आती है। छुहारा पीसकर वाटा बनाया जाता है । कपास की भी खेती दिन-प्रतिदिन बड़ती जा रही है। इसका उत्पादन बगदाद के पूर्वोत्तर ढियाला नदी की घाटी है। अन्य फैसलें अंगूर, शहतूत, अंजीर, तम्बाकू, अफीम और फल , रा. २५ 1 करबला के कारण शिया लोगो का तीर्थ स्थान है । वाइबिल वर्णित ईवन उद्यान ईराक में था। यह देश साम्राज्यों की स्मशान भूमि तथा खड़हर है। सुमेर, बावुल असुरी, खल्द सभ्यताओं का यही उदय हुआ था । यहाँ का प्राचीन नगर 'उर' 'नुन्ना' ( तेल अस्मर ) तिनेवे, यहाँ का पुरातन गाथाओं में वर्णित आकाशीय उद्यान विश्व के सप्त आश्चर्यों मे एक माना जाता था । इराक पर यूनानी तत्पश्चात् रोमन, उत्पश्चात् सासानी इरा नियों ने ईराक पर शासन किया था अरबों के आक्रमण ने परिस्थिति बदल दी। उन्होंने कुफा, वसरा तथा बगदाद की स्थापना किया था । हजरत अली ने मुसलिम साम्राज्य की राजधानी कूफा बनाया था | अब्बासी खलीफाओं के समय बगदाद अरब साम्राज्य की राजधानी बन गया । खलीफा हारून रशीद के समय बगदाद की आशातीत उन्नति हुई अन्तिम अब्बासी खलीफा मुसलिम के समय सन् १९५८ ई० में चंगेज खाँ के पोत्र हलाकू खाँ ने बगदाद पर आक्रमण किया । अब्बासी अधिकार सर्वदा के लिए समाप्त हो गया । अब्बासी खलीफाओं के पश्चात् मंगोल, तातार, इरानी, कुर्दो, तुर्कों की प्रतिस्पर्धा का शिकार बना रहा। तत्पश्चात् तुर्की का शासन ईराक पर सन्
SR No.010019
Book TitleJain Raj Tarangini Part 1
Original Sutra AuthorShreevar
AuthorRaghunathsinh
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size35 MB
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