SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 109
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०० जैनराजतरंगिणी नर्तकियाँ लास्य नृत्य मे निपुण थी। राजा की संगीत प्रियता एवं संगीतज्ञों का आदर सुनकर, विदेशो से अनेक भाषाविद् गायक राजसभा की शोभा बढ़ाते थे। देशी-भाषा मे 'लीला' नामक प्रबन्ध गान भी होता था। हसन शाह के समय गोहत्या विदेशी मुसलमानों तथा वणिकों द्वारा श्रीनगर में की गयी थी। जैनुल आबदीन के समय गोहत्या बन्द थी। गोहत्या के पाप से, जहाँ गोहत्या की गयी थी, जहाँ गोमांस भक्षण किया गया था, वह विहार, वह नगर सब भस्म हो गया। उत्पात होने लगे। गोवधिकों के बाजार में लौकिक ४५५५ = सन १४७९ ई० मे अनायास आग लग गयी। अग्नि गुलिका वाटिका तक फैल गयी । बडी मसजिद में भी आग लग गयी। उसे सिकन्दर बुतशिकन ने निर्माण कराया था। मसजिद की दिवाल मात्र शेष रह गयी थी। सव कुछ जलकर राख हो गया। ईद के दिन वहाँ मुसलमान नमाज पढ़ते थे। बहराम खाँ के पंच आवास आदि गृह की भयंकर अग्नि, खाण्डव वन दाह की स्मरण दिलाती थी। उडते, जलते, भोजपत्र वितस्ता में तैरती नावों पर आकर गिरे। नावो में आग लग गयी। सहस्रों गृह उस दिन भस्म हो गये। भयंकर वायु चली। उल्लोलसर (उलर लेक) मे सैकड़ों किरात अर्थात् माँझी डूब गये। हसन शाह दुर्बल राजा था। मन्त्री हावी थे। मन्त्रियों के पारस्परिक मत्सर तथा द्वेष के कारण अव्यवस्था फैल गयी। राज्यादेश प्राप्त ताजभट्ट ने विदेशोमे अभियान किया । काश्मीर का पुनः गौरव प्राप्त करने का प्रयास, विजयो द्वारा किया गया । ताजभट्ट ससैन्य राजपुरी पहँचा। अजयदेव आदि मद्र तातार खाँ का साथ त्याग दिये। उससे मिल गये। स्यालकोट आदि दग्धकर्ता, दिल्लीपति बहलोल लोदी के लिये भी वह भयप्रद हो गया। सामन्तो को करदीकृत करता, काश्मीर लौट आया। मलिक अहमद उसकी विजय तथा उत्कर्ष से ईर्ष्यालु हो गया। ताजभट्ट के नाश की चिन्ता करने लगा। हसन शाह ने कनिष्ठ पुत्र हस्सन का अभिभावक नौरुज को बना दिया। ताजभट्ट से बदला लेने के लिये मलिक ने निष्कासित सैयिदो को पुनः काश्मीर आगमन का आमन्त्रण भेजा। गुप्तचरों ने सै यिदों के आगमन द्वारा सर्वनाश की चेतावनी दी। परन्तु ईर्ष्या से अन्ध एवं वधिर मल्लिक ने नेक सलाह की उपेक्षा कर दी। सैयिदो का प्रवेश काश्मीर में हुआ। जैनुल आबदीन, हैदर शाह तथा हसन शाह ने देश की सुरक्षा एवं शान्ति की दृष्टि से उन्हे निकालने का प्रयास किया था। सैयिद हसन प्रवेश पाते ही, सिद्धादेशाधिकारी बन गया। खोयाश्रम प्रदेश जागीर में प्राप्त किया। सैयिदों के प्रवेश के कारण, काश्मीरी त्रस्त हो गये। वे सैयिदों का भूतकालीन प्रजापीड़क इतिहास नही भूले थे। सैयिदो से काश्मीर मण्डल आक्रान्त हो गया। उन्होंने ताजभट्ट की पत्नीके हरण इच्छा की। उसे कारागार में डाल दिया। मलिक अहमद ने अपने मार्ग में पड़ने वाले सभी सम्भावित काश्मीरी सामन्तों का नाश कर दिया। राजा भी मलिक से विरक्त था। पान लीला के समय मलिक पुत्र नौरोज ने राजा का अपमान किया । राजा मल्लिक से चिढ़ गया। उसने मल्लिक तथा पुत्र की लीला समाप्त करने का निश्चय किया। मल्लिक सुल्तान के पुत्र का अभिभावक था। राजा ने मल्लिक को हटाकर, पुत्र का अभिभावक जोन राजानक को बना दिया। राजा के आह्वानन पर ससैन्य साहसी मार्गपति जहाँगीर शीघ्र ही श्रीनगर में आ गया। मल्लिक उसके आगमन का समाचार सुनते ही क्रुद्ध हो गया। अपशकुन होने पर भी दूसरे दिन, बह ससैन्य राज
SR No.010019
Book TitleJain Raj Tarangini Part 1
Original Sutra AuthorShreevar
AuthorRaghunathsinh
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy