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धीविनाय नमः
जैन-ग्रन्थ-संग्रह णमोकार मन्त्र |
गाथा |
११-७
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१९१-७
समोअरहंताणं । णमो सिद्धाणं । णमो आयरियाणं । .
22-8
१६-१
णमो उवज्झायाणं । णमो लोए सव्व साहूणं ।
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इस णमोकार मंत्र में पांच पद, पैंतीस अक्षर और अंठावन मात्रा हैं।
णमोकार मंत्र का माहात्म्य | एसो पंच रामोयारो, सव्वपावपणासयो । मंगलायम् च सव्वेसिं, पढ़मं होय मंगलम् ॥
अर्थ-यह पंच नमस्कार मंत्र सब पापों का नाश करने वाला है और सब मंगलों में पहला मंगल है |
पञ्च परमेष्ठियों के नाम |
अरहंत, सिद्ध, भाचार्य, उपाध्याय, सर्वसाधु । उँही श्रसि श्रा उसा । ॐ नमः सिद्धेभ्यः । नोट - अ सिम उसा नाम पञ्च परमेष्ठी का है । डं. मैं पंच परमेष्ठी के नाम गर्मित हैं ।. ही में २४ तीर्थंकरों के नाम गर्मित हैं ।
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