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________________ 8 उपाध्याय ॐ [२४५ है । इक्कीसवें में पालित श्रावक के पुत्र समुद्रपाल के वैराग्य का और प्राचार का वर्णन है। बाईसवें में नेमिनाथ भगवान् द्वारा प्राणियों की रक्षा के लिए राजीमनी के परित्याग का वर्णन है। राजीमती ने किस प्रकार स्थनेमि को संयम में दृढ़ किया, यह भी वर्णन किया है । तेईसवें अध्ययन में पार्श्वनाथ की परम्परा के श्रीकेशी श्रमण और गौतम गणधर के संवाद का वर्णन है। चौबीसर्वे में पाँच समितियों तथा तीन गुप्तियों का वर्णन है । पच्चीसवें अध्ययन में जयघोष ऋषि, विजयघोष ब्राह्मण को यज्ञ की हिंसा से बचाते हैं, यह वर्णन है। छब्बीसवें में साधु की दस समाचारी और प्रतिक्रमण की विधि बतलाई गई है। सत्ताईसवें में गर्गाचार्य द्वारा दुष्ट शिष्यों के परित्याग का वृत्तान्त है। अट्ठाईसवे में द्रव्य, गुण, पर्याय का स्वरूप और सम्यग्ज्ञान, दर्शन चारित्र तथा तप मोक्ष के मार्ग हैं, यह निरूपण किया गया है। उनतीसवें अध्ययन में ७३ प्रश्नोत्तरों द्वारा धर्मकृत्य के फल का वर्णन है । तीसवें में १२ प्रकार के तप का वर्णन है। इकतीसवें में चारित्र के गुण बतलाये गये हैं। बत्तीसवें में प्रमादस्थान-पाँच इन्द्रियों को जितने का उपदेश है । तेतीसवें में कर्मप्रकृति, कर्मस्थिति, अनुभाग और प्रदेश का कथन है। चौतीसवें में छह लेश्याओं के ११ द्वार वर्णित हैं । पैंतीसवें में साधु के गुणों का निरूपण है । छत्तीसवें अध्ययन में जीव के ५६३ भेदों का, अजीव के ५६० भेदों का और सिद्ध भगवान् के स्वरूप का वर्णन है । भगवान् महावीर ने मोक्ष पधारते समय १८ देशों के राजा आदि परिषद् के समक्ष विपाक के ११० और उत्तराध्ययन के ३६ अध्ययनों का १६ प्रहर पर्यन्त व्याख्यान किया था। उत्तराध्ययन २१०० श्लोकपरिमित है । (३) नन्दीसूत्र–इसमें सर्वप्रथम स्थविरावली का वर्णन है। भ० महावीर के पश्चात् होने वाले—उनके पट्टधर २७ आचार्यों का वर्णन है। योग्य-अयोग्य श्रोताओं का कथन है। पाँच ज्ञानों का, चार बुद्धियों का वर्णन है । शास्त्रों की नामावली भी इसमें दी गई है । (४) अनुयोगद्वार-इसमें ४ योग, ४ प्रमाण, ७ नय और ४ निक्षेप आदि का साविक विवेचन है। इसके मूल श्लोक १८६६ हैं।
SR No.010014
Book TitleJain Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherAmol Jain Gyanalaya
Publication Year1954
Total Pages887
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size96 MB
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