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________________ * जैन-तत्व प्रकाश * प्रतियां १००० ० ० १२०० १२५० ० ० सं० नाम प्रतियां सं० नाम ८१ केवलानंद छंदावली ४ ,, ४५००। ६२ श्री नेमिनाथ चरित्र ८२ मनोहर रत्न धन्नावलि १०००। ६३ श्री शालिभद्र , ८३-जैन सुबोध होरावलि १०००। ६४ जैन गणेश बोध ८४ जैन सुबोध रत्नावलि १००० ६५ गुलाबी प्रभा ८५ जैन सुबोध माला १००० ६६ स्वर्गस्थ मुनि युगल ८६ श्रावक नित्य स्मरण १००० ६७ सफल घड़ी ८७ मल्लिनाथ चरित्र १८ छ: काया के बोल ८८ श्रीपाल राजा चरित्र ६६ अनमोल मोती ८६ श्री महावीर , १० १०० सुवासित फूलडा 8. सुख साधन १०१ सज्जन सुगोष्ठी ६१ जैन साधु (मराठी) १५०० । १०२ थमा शाखिभद्र ५०० १००० ० ० ० ० २००० २००० ० ० ० ० ० ० ० ० ० . ० ० ० ० १००० ० ० नोट-(१) कुल पुस्तकों की जोड़ १०२ है । (२) कुल पुस्तकों की सभी प्रावृचियों की प्रकाशित प्रतियों की जोड़ १८६३२५ होती है। (३) सभी पुस्तकों की केवल मूल पृष्ठ संख्या यानि रचना की दृष्टि से चरितनायकजी ने लगभग ५० हजार पृष्ठों जितने साहित्य की रचना की भलाद किया, और संपादन किया ।
SR No.010014
Book TitleJain Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherAmol Jain Gyanalaya
Publication Year1954
Total Pages887
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size96 MB
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