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गुणरत्न
तपदिन
संवत्सरतप पारणा
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सर्व दिन
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। यह उपर्युक्त तपों के नाम तो श्री उववाइजी सूत्र में हैं. और इन तपोंमें से कितनेक तप करने वालों के नाम भी अन्तगड जी सूत्र में हैं. उक्त तप की चार परिपाटी की जाती है अर्थात् पूर्ण तप चार वक्त करते हैं. जिसमें पहिले वक्त तप करते सर्व रस युक्त पारणा करते हैं दूसरी वक्त तप करते पारणे में पांचों विगय का परित्याग करते हैं. तीसरी वक्त तप करते पारणे में विगय का लेप मात्र भी लगा हो तो उस वस्तु को 'ग्रहण नहीं करते हैं चौथी वक्त तप करते पारणे में आयंबिल करते हैं। यों ममत्व परित्याग करते हैं तबाही मोक्ष प्राप्त करते हैं।
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