________________ श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। ते गुरु मेरे मन बसो, जे भवजलधि जहाज / आप तिरै पर तारही, ऐसे हैं ऋषिराज // 5 / / धर्म धरै दश लक्षणी, भावें भावनासार / सहैं परीषह बीस द्वे चारित रतन भण्डार / / ते गुरु मेरे मन बसो, जे भव जलधि जहाज / आप तिरै पर तारही, ऐसे हैं ऋषिराज ||6|| जेठ तपै रवि आकरो सूखे सरवर नीर / शैल शिखर मुनि तप तपै दाझं नगन शरीर / / ते गुरु मेरे मन बसो, जे भवि जलधि जहाज / आप तिर पर तारही, ऐसे हैं ऋषिराज // 7 // पावस रेन डगवनी वरम जलधर धार / तरुतल निवमै साहमी चाल झंझावार / ते गुरु मेरे मन वमो, जे भवजलधि जहाज / आप तिरै पर तारही, ऐसे हैं ऋपिराज // 8 // शीत पड़े कपि-मद गले, दाहै सब वनराय / ताल तरंगनिके तटै, ठाड़े ध्यान लगाय / / ते गुरु मेरे मन बमो, जे भवजलधि जहाज / आप तिरे पर तारही, ऐसे हैं ऋषिराज // 9 // इह विधि दुद्धर तप तपै, तीनों कालमंझार / लागे सहज सरूपमें, तनमों ममत निवार / / ,