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यदि राजमार्ग सीघा घर में प्रवेश कर रहा हो, द्वार वेध हो, तो खिड़की के बाहरी भाग में कांच लगा कर द्वार वेध नष्ट करने की परिपाटी मध्य एशिया, हांगकांग, सिंगापुर एवं चीन तथा जापान में अधिकाधिक प्रचलित है। घरों के अपेक्षाकृत कार्यालय, या व्यापारिक कक्ष में कांच का बड़ा महत्व है। यह कांच कई अर्थों में कार्यालय की शोभा और श्री में वृद्धि करता है। अंग्रेजी में कहावत है "The bigger the mirror the better." कार्यालय वगैरह में कांच इस तरह से लगना चाहिए कि उसमें आदमी का पूरा प्रतिबिंब दिखाई दे। यदि कांच अधिक छोटा है तथा सिर नहीं दिखाई देता हो, तो गृहस्वामी को सिर दर्द की स्थायी बीमारी रहेगी। यदि कांच ज्यादा बड़ा हो, तो गृहस्वामी अस्वस्थ रहेगा। अतः कांच कार्यालय में सही ढंग से, सही स्थान पर लगाना चाहिए। छोटे एवं संकरे कमरे, कांच की मदद से, शुभफलदायक हो जाते हैं। कार्यालय में कांच अजनबी व्यक्ति के प्रवेश, प्रतिबिंब व उद्देश्य को प्रकट करने में सहायक होता है। मकान और कमरे भी, कांच की मदद से, शुभफलदायक हो जाते है। कांच यदि सही ढंग से लगे, तो कार्यालय और घर में उन्नति एवं प्रगति में भारी सहायक होता है। हरियाणा के एक प्रसिद्ध होटल का रेस्टोरेंट (भोजनशाला) ठीक नहीं चल रहा था। डाइनिंग हॉल अकसर ग्राहकों की इंतजार में खाली पड़ा रहता था। भोजन-कक्ष में 32 खंभे थे। काफी अंधेरा भी था। डाइनिंग हॉल में पर्याप्त रोशनी करायी गयी। गोल खंभों पर षट्कोणात्म्क कांच (शीशा) लगा दिये। होटल चल पड़ा। यही हाल मुंबई के चर्चगेट पर स्थित होटल सम्राट का है। वहां भोजन के लिए ग्राहक लंबी कतार में खड़े रहते हैं। अपनी दिव्य शक्ति द्वारा भारतीय मनीषियों ने सोलह प्रकार की दिशा-विदिशा को खोज निकाला था। जिनके नाम इस प्रकार हैं : 1. पूर्व, 2 कुंडदक्षांस, आग्नेय, 4. दक्षपार्श्व, 5. दक्षिण, 6 दक्षश्रेणि, 7. नैर्ऋत्य, 8 पुच्छ, 9. पश्चिम, 10. वामश्रेणी, 11. वायव्य, 12. वामार्च, 13. उत्तर, 14. वामांस, 15. ईशान्य,16. पद्ममुख पूर्व और कुंडदक्षांस के मध्य एक उपदिशा और है। इस प्रकार से कुल 32 दिशाएं होती हैं, जिसका ज्ञान केवल भारतीय मनीषियों के अतिरिक्त न किसी को था, न है। बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोष शमन के संदर्भ में भी भारतीय ऋषियों का ज्ञान अनुपम था। बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोष शमन के निम्न अचूक उपाय प्रबुद्ध पाठकों के लाभार्थ, पहली बार यहां प्रस्तुत किये जा रहे हैं :
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